नाखून शरीर के डेड सेल्स कहलाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि नाखूनों के रंग और बनावट से आप अपनी सेहत के बारे में जान सकते हैं. नाखून के बदलते रंग बताते हैं कि आपका शरीर स्वस्थ नहीं है. वह अंदर ही अंदर कई तरह की बीमारियों से जूझ रहा है. महिलाएं अपने नाखूनों का खास ख्याल रखती हैं लेकिन आपको ये भी पता होना चाहिए कि नाखूनों का ख्याल सिर्फ बाहर से ही रखने से नहीं होगा इसके लिए आपको शरीर को पोषित (Nutrients) करना होगा. अपने नाखूनों पर ध्यान देकर आप किसी भी तरह की गंभीर बीमारी से बच सकते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे नाखून आपकी हेल्थ के बारे में बता सकते हैं.
टूटे नाखून
ब्रिटल नेल्स या फिर नाखूनों का बार-बार टूटना इस बात का संकेत देता है कि आपके नाखून कमजोर हो चुके हैं. नाखून की ये स्थिति बताती है कि आपके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो गई है. जब नाखून तिरछे ढंग से टूटते हैं तो इसे ओनिकोस्चिजिया कहतें हैं. वहीं नाखून जब बढ़ने वाली दिशा में ही टूटते हैं तो इसे ओनीकोरहेक्सिस कहते हैं. नाखूनों के टूटने का मतलब शरीर का कमजोर होना है.
फीके नाखून
नाखून के रंग का फीका पड़ जाना उम्र बढ़ने का सामान्य संकेत देता है. अधिकतर समय 60 साल से अधिक उम्र के ज्यादातर लोगों के नाखून फीके पड़ जाते हैं. हालांकि कम उम्र में फीके नाखून का मतलब शरीर में किसी न किसी बीमारी का दस्तक देना है. शरीर में खून की कमी होना, कुपोषण, लीवर की बीमारी या फिर हार्ट संबंधी बीमारियों के चलते नाखून फीके पड़ जाते हैं.
सफेद नाखून
कई बार उंगलियों पर चोट लगने पर नाखून सफेद हो जाते हैं लेकिन अगर आपके सभी नाखून धीरे-धीरे सफेद हो रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपका शरीर स्वस्थ नहीं है. इस तरह के नाखून लीवर से जुड़ी बीमारी, क्रॉनिक किडनी डिजीज और कंजेस्टिव हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों का संकेत देते हैं.
पीले नाखून
पीले नाखून ज्यादातर फंगल इंफेक्शन की वजह से होते हैं. इस तरह के नाखून सोरायसिस, थायराइड और डायबिटीज के संकेत देते हैं. येलो नेल सिंड्रोम (YNS) नामक एक दुर्लभ बीमारी उन लोगों में पाई जाती हैं जिन्हें फेफड़ों से जुड़ी कोई समस्या होती है या फिर जिनके हाथ-पैरों में अक्सर सूजन रहती है. वहीं शरीर में विटामिन ई की कमी से भी नाखून पीले हो जाते हैं.
नीले नाखून
नाखून के नीले पड़ जाने के कई कारण हो सकते हैं. इसे ब्लू पिगमेंटेशन नेल्स कहा जाता है. आमतौर पर ये चांदी के ज्यादा संपर्क में रहने की वजह से हो जाता है. मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल दवाएं, दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाली दवाएं और लीवर से संबंधित दवाएं भी ब्लू पिगमेंटेशन का कारण बन सकती हैं. HIV के मरीजों के नाखून भी नीले पड़ जाते हैं.