रांची : झारखंड के मौसम में भले ही ठंडक आ रही है लेकिन इनदिनों झारखंड की उपराजधानी दुमका की सियासत पूरी तरह से गर्म है. इस सीट पर झामुमो का लंबे समय तक दबदबा रहा है. फिलहाल, इस सीट पर भाजपा के हिस्से में है. इस बार लोकसभा चुनाव में दुमका सीट पर मुकाबला काफी रोमांचक होने वाला है. अब 2024 में देखना होगा कि आखिर अपने गढ़ को एक बार फिर से हासिल करने के लिए झामुमो किसे यहां अपना उम्मीदवार बनाती है. पार्टी हलकों में चर्चा यह है कि इस बार झामुमो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को नये चेहरे के तौर पर मैदान में ला सकता है. हालांकि, पार्टी ने इस बारे में किसी तरह के कोई संकेत नहीं दिये हैं.
शिबू सोरेन को 47,000 से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त खानी पड़ी थी
दुमका से आठ बार के सांसद रहे शिबू सोरेन जिन्होंने नौवीं बार जीत हासिल करने की दौड़ में थे, लेकिन वे दूसरे नंबर पर रहे थे. शिबू सोरेन को 47,000 से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त खानी पड़ी थी. शिबू सोरेन को 4,36,158 वोट मिले थे. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी, भाजपा उम्मीदवार सुनील सोरेन को 4,83,748 वोट मिले थे. जिससे झामुमो के संरक्षक को लोकसभा में रिकॉर्ड नौवीं बार मौका नहीं मिला था. जेएमएम सुप्रीमो को कुल वैध वोटों में से 43 फीसदी वोट मिले, जबकि भाजपा के सुनील सोरेन को 48 फीसदी वोट मिले थे. यह जीत सुनील सोरेन के लिए एक संतोषजनक वापसी रही थी, जो 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में शिबू सोरेन से हार गए थे.
बाबूलाल मरांडी ने भी हराया था
यह तीसरी बार था जब शिबू सोरेन दुमका से हारे थे. उन्हें पहली बार 1984 में दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस ने हराया था और फिर 1998 में बाबूलाल मरांडी ने शिबू सोरेन को हराया था.
दुमका सीट को लेकर सोरेन परिवार में चल रहा है जिच
दुमका सीट को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को परिवार का विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है. एक तरफ हेमंत सोरेन इस सीट पर अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को उतारने की तैयारी कर रहे हैं तो दूसरी ओर सीता सोरेन ने भी दुमका सीट पर अपना दावा ठोक रही है. सीता सोरेन अपनी बेटी को लिए यह सीट चाह रही है. देखने वाली बात यह है कि दुमका सीट को लेकर परिवार में चल रहे जिच को हेमंत सोरेन कैसे खत्म करेंगे.
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