लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ से मिनहाज और मसीरुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद दोनों से हुई पूछताछ में कई जानकरियां मिल रही हैं। मिनहाज ने बताया कि उसने कानपुर में टेरर क्लास रूम प्लान किया था। इस क्लास रूम के लिए जगह की जिम्मेदारी चमनगंज के एक बड़े बिल्डर को दी गई थी। उसने बताया कि यहां नौजवानों को रेडिकलाइज करके आतंक का पाठ पढ़ाया जाना था। इसके लिए जगह का चयन लगभग हो चुका था।
गौरतलब है कि चमनगंज मुस्लिम बहुल इलाका है। पहले भी यहां से कई आतंकियों और आईएसआई एजेंट गिरफ्तार किए गए हैं। यहीं पर रहमानी मार्केट है, जहां से मिनहाज को दो प्री-एक्टिवेटेड सिम और एक मोबाइल उपलब्ध कराया गया था। वहीं बिल्डर को हिरासत में लिए जाने की खबर है। बिल्डर का संबंध शहर के कई नामचीन लोगों से भी हैं। इसी सिलसिले में व्यक्ति को पेंचबाग से भी हिरासत में लिया गया है। जानकारी के मुताबिक इसी व्यक्ति ने मिनहाज और मसीरुद्दीन को मोबाइल उपलब्ध कराया था।
लखनऊ से गिरफ्तार आतंकियों का ङ-कनेक्शन एटीएस तलाशेगी। आंतकी आज से 14 दिन की कस्टडी रिमांड पर एटीएस के पास रहेंगे। इस दौरान एटीएस मिनहाज और मसीरुद्दीन दोनों को कानपुर और कश्मीर ले जाएगी। कानपुर के चमनगंज के हिस्ट्रीशीटर से मिनहाज ने पिस्टल खरीदी थी। वहीं इसका फाइनेंसर नई सड़क का एक बिल्डर था। अब आधा दर्जन लोगों को एटीएस कानपुर से हिरासत में ले चुकी है। उधर मिनहाज कश्मीर के मूसा और तौहीद से टेलीग्राम ऐप पर जुड़ा था। तौहीद के बैंक खाते में मिनहाज ने रकम भेजी थी। रिमांड के दौरान एटीसी विस्फोटक खरीदने के स्थानों पर ले जाएगी। साथ ही दोनों आतंकियों के पूरे नेटवर्क की जानकारी लेगी।
लखनऊ का मिनहाज सोशल मीडिया के जरिए ही अंसार गजवतुल हिंद और फिर अलकायदा के संपर्क में आया था। आतंकी संगठन ने उसके द्वारा सोशल मीडिया पर किए जाने वाले कमेंट से प्रभावित होकर उससे सोशल मीडिया पर ही संपर्क साधा था। फिर उसे कुछ वीडिओ भेजे, जिन्हें देखकर वो और कट्टर हुआ। इसके बाद उसे संगठन से जोड़ा गया और फिर आॅनलाइन ही कुछ बड़े आतंकियों से उसका ब्रेनवॉश कराया गया। साथ ही उसे संगठन के मकसद पूरा करने में जान न्योछावर करने की कसम दिलाई गई।
जानकारी के मुकाबिक करीब डेढ़ साल तक उसने स्लीपर सेल की तरह काम किया और फिर नौकरी जाने के बाद वह सक्रिय रूप से अलकायदा के साथ जुड़कर काम करने लगा। बाद में उसे बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई। अब तक मिनहाज इतना कट्टर हो चुका था कि वह खुद को मानव बम बनाने पर भी राजी हो गया था। विदेश जाने के प्रमाण तो अभी एटीएस को नहीं मिले हैं लेकिन कश्मीर जाना और वहां के लोगों के यहां आने की जानकारी मिली है। एटीएस की पूछताछ में यह जानकारी भी मिली है कि इन आतंकियों कि तीन महीने की ट्रेनिंग श्रीनगर में हुई थी। इस दौरान इन्हें यह सिखाया गया था कि अपनी पहचान छिपा कर किस तरह रेकी की जाती है। कुकर बम कैसे बनाया जाता है। मानव बम में क्या-क्या जरूरत होती है। पहचान छिपाकर किस तरह धमाका करना है। ट्रेनिंग के बाद वह खामोशी से लखनऊ में रहकर बड़े धमाके की योजना बना रहा था।