Ranchi : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन सदन में जमीन अधिग्रहण से जुड़ा मुआवजा, एनओसी और म्यूटेशन में धांधली का मुद्दा गरमाया रहा। इस पर विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी सदन में सरकार से सवाल किया।
विधायक नागेंद्र महतो ने सरकार से पूछा कि क्या वह गैर-मजरूआ जमीन पर किसानों से राजस्व लेकर उन्हें स्वामित्व का अधिकार देने पर विचार कर रही है? इस पर मंत्री दीपक बिरूआ ने जवाब दिया कि पूर्व की भाजपा सरकार ने अवैध जांच का आदेश दिया था, लेकिन अब 2018 से पूर्व की बंदोबस्ती वाली जमीन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।
भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने आरोप लगाया कि ऑनलाइन प्रक्रिया लागू होने के बाद खाता और प्लॉट नंबरों में बदलाव कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की मिलीभगत से पांच एकड़ की जमीन को पांच डिसमिल दिखाया जा रहा है और सीओ (अंचल अधिकारी) 25 से 50 हजार रुपये तक की घूस मांग रहे हैं। इस पर मंत्री दीपक बिरूआ ने स्पष्ट किया कि यदि किसी अंचल से ऐसी शिकायत मिलती है, तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
वहीं विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी ने भी भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दे को उठाया। उन्होंने सरकार से मांग की कि विकास कार्यों के लिए भूमि देने वाले रैयतों के गैर-अधिग्रहित प्लॉट पर प्रतिबंध हटाया जाए, क्योंकि इस कारण उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
विधायक सुरेश पासवान ने देवघर का मामला उठाते हुए कहा कि वहां रसीद कटवाने पर अधिकारियों द्वारा सीबीआई जांच का हवाला दिया जा रहा है।
इसके बाद विधायक राजेश कच्छप ने ज्यूडिशियल अकादमी से नगड़ी तक अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का भुगतान अब तक न होने का मुद्दा उठाया। इस पर मंत्री दीपक बिरूआ ने स्पष्ट किया कि रैयती जमीन को प्रतिबंधित करने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर कोई अधिकारी एनओसी देने में देरी करता है, तो 15 दिनों के भीतर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि यदि सीओ (अंचल अधिकारी) सीबीआई जांच का बहाना बना रहे हैं, तो उन्हें भी शोकॉज किया जाएगा।
स्पीकर ने निर्देश दिया कि यह आदेश राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों (डीसी) को भेजा जाए।
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