Darbhanga : दरभंगा जिले के मब्बी थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने न केवल पुलिस तंत्र को झकझोर कर रख दिया है बल्कि पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है. सिमरा निहालपुर गांव के जगदेव राम का बेटा भोलाराम, जिसे एक माह पूर्व मृत घोषित कर दाह संस्कार तक कर दिया गया था. वह आज यानी शुक्रवार को दरभंगा व्यवहार न्यायालय में जिंदा उपस्थित होकर सबको चौंका दिया.
भोलाराम की अचानक वापसी ने उस ‘हत्या’ की कहानी को झुठला दिया. जिसके आधार पर मब्बी थाना कांड संख्या 22/25 दर्ज किया गया था. बता दें कि 26 फरवरी को दोनार अल्ललपट्टी रेलवे ट्रैक के पास एक अज्ञात युवक घायल अवस्था में मिला था. जिसके दोनों हाथ और पैर कटे हुए थे. डीएमसीएच में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. जिसके बाद सड़क जाम व जोरदार हंगामा हुआ था, जिसके बाद मब्बी थानेदार दीपक कुमार को निलंबित कर दिया गया था. उस वक्त मृतक की पहचान भोलाराम के भाई धीरज कुमार ने की थी. अब जब भोलाराम खुद अदालत में जिंदा और सही सलामत हाजिर हो गया, तब सवाल उठ रहे हैं कि डीएमसीएच में भर्ती कराए गए अज्ञात युवक की पहचान कैसे हुई और वह वास्तव में कौन था?
नेपाल से लौटने की आपबीती
भोलाराम ने न्यायालय में बताया कि उसे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पास स्थित नागेंद्र झा स्टेडियम से कुछ अज्ञात लोगों ने अगवा कर लिया था. मुंह पर रुमाल रखकर उसे बेहोश किया गया और जब होश आया, तो वह खुद को नेपाल में एक बंद कमरे में पाया. उसने परिजनों को कई बार व्हाट्सएप कॉल किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ. हाल ही में कॉल उठाने पर उसने पूरी कहानी बताई, जिसके बाद परिजन नेपाल जाकर उसे वापस लाए और न्यायालय में प्रस्तुत किया.
अदालत का आदेश
भोलाराम के जीवित पाए जाने के बाद विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी कोर्ट में धीरज कुमार द्वारा आवेदन दायर किया गया. कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए भोलाराम का बयान बीएनएसएस की धारा 183 के तहत दर्ज करवाया और पहचान सत्यापित होने के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया गया.
अब सवालों के घेरे में पुलिस
अब बड़ा सवाल यह है कि अल्ललपट्टी रेलवे गुमटी के पास मिले घायल युवक की असल पहचान क्या थी? क्या पुलिस ने जल्दबाजी में पहचान करवाई? क्या जानबूझकर केस को दबाने की कोशिश हुई? और सबसे अहम, हत्या के आरोप में जेल में बंद राहुल कुमार के साथ न्याय कैसे होगा?
इसके अलावा, मृतक के नाम पर राज्य सरकार की ओर से परिजनों को दिए गए ₹4.25 लाख की अनुदान राशि का क्या होगा? SSP जगुनाथ रेड्डी ने कहा है कि पूरे मामले की पुनः जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी. यह मामला केवल एक लापता युवक के जिंदा लौटने भर का नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही, जांच प्रक्रिया की खामियों और पहचान प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करता है. अब देखना होगा कि पुलिस इस पेचीदा गुत्थी को कैसे सुलझाती है और सच्चाई को सामने लाती है.
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