Ranchi : राज्य में एक महिला मज़दूर के दो बच्चों के जन्म में सिर्फ चार महीने का अंतर होने के बावजूद भी उसे दोनों बच्चों का मातृत्व लाभ दिए जाने का मामला सामने आया है. मिली जानकारी के अनुसार महालेखाकार ने मजदूरों के लिए चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं के ऑडिट के दौरान इस तरह की गड़बड़ी पायी है.
रिपोर्ट के अनुसार राज्य में भवन निर्माण व अन्य कार्यों से जुड़े निबंधित मजदूरों को कई तरह का लाभ देने का प्रावधान है. इन कल्याणकारी योजनाओं के संचालन कामगारों के लिए गठित कल्याण बोर्ड द्वारा किया जाता है. सरकार द्वारा निबंधित महिला मजदूरों के लिए मातृत्व वंदना योजना चलाया जाता है. इस योजना के तहत एक बच्चे के जन्म पर महिला मजदूर को मातृत्व लाभ के रूप मे 15 हजार रुपये देने का प्रावधान है. ऑडिट के दौरान पाया गया कि धनबाद की एक महिला मजदूर को मातृत्व योजना का लाभ देने के लिए बच्चे के जन्म से संबंधित दो जन्म प्रमाण पत्र सौंपे गये थे. एक प्रमाण पत्र पाटली पुत्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा जारी किया गया था. इसमें बच्चे की जन्म तिथि 27 सितंबर 2020 बतायी गयी थी. इसी महिला मजदूर के दूसरे बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टुंडी द्वारा जारी किया गया था. प्रमाण पत्र में जन्म तिथि का उल्लेख नहीं किया गया था. लेकिन प्रमाण पत्र से साथ लगे दस्तावेज में 30 जनवरी 2021 को बच्चे के जन्म होने का उल्लेख किया गया था. इस तरह इस महिला मजदूर के दो बच्चों के जन्म के बीच सिर्फ चार महीने का ही अंतर था. साथ ही उसके दोनों बच्चों के लिए 30 हज़ार रुपये के मातृत्व लाभ का भुगतान किया गया था.
महालेखाकार ने ऑडिट में पाया कि पूर्वी सिंहभूम और बोकारो जिले की निबंधित 10 महिला मजदूरों को एक ही बच्चे के जन्म के लिए दो बार मातृत्व लाभ का भुगतान किया गया था. इसके अलावा पांच निबंधित महिला मजदूरों को डॉक्टर के प्रमाण पत्र के बिना ही मातृत्व लाभ के रुप में पैसों का भुगतान किया गया था.
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