रांचीः पथ निर्माण विभाग की करीब 38 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनमें जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया गया लेकिन जिनकी जमीन ली गयी उन रैयतों को मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया आज तक अधूरी है. जबकि, पथ निर्माण विभाग द्वारा उक्त परियोजनाओं की राशि भी जिला भू-अर्जन कार्यालय को उपलब्ध करा दी है. पथ निर्माण विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी राशि अब भी जिला भू-अर्जन कार्यालय में पड़ी है. इनमें से कई परियोजनाएं ऐसी भी हैं जिनका काम भी पूरा हो चुका लेकिन, रैयतों को आज तक मुआवजा नहीं दिया गया, नतीजा यह है कि वे लोग बार-बार जिला भू-अर्जन कार्यालय के चक्कर लगे रहे हैं. मुआवजे का वितरण नहीं होने से सड़क परियोजनाओं का काम रूका हुआ है. कहीं-कहीं तो रैयतों ने विरोध भी शुरू कर दिया है. स्थिति यह है कि वर्ष 2018 में भू-अर्जन के लिए दी गयी राशि अब तक रैयतों को नहीं दी गयी है. यही नहीं, रांची-चाईबासा रोड में पुल निर्माण के लिए वर्ष 2012 में राशि उपलब्ध करा दी गयी थी, परंतु वहां के रैयतों को आज तक मुआवजे का भुगतान नहीं हो पाया है.
कई परियोजनाओं का काम पूरा, पर नहीं मिला मुआवजा
भू-अर्जन के कारण सिरमटोली- मेकन फ्लाइओवर, रांची रेलवे स्टेशन के दूसरे पहुंच पथ, नेवरी से नामकुम आरओबी, अमरेश्वर धाम से जुरदाग रोड, कादोजोरो मोड़ घाघरा, पांडेपारा पथ, लालगंज- टाटीसिलवे पथ, रांची-चाईबासा रोड, करमटोली चौक से ओरमांझी पथ, कांठीटांड़ से पिठोरिया चौक पथ, इटकी पावर हाउस से दरहाटांड़ पथ, बांबे-टाकुरगांव-इथे पथ आदि प्रभावित हैं. इनमें से कई योजनाओं का काम शत प्रतिशत हो गया है, लेकिन रैयतों को पैसे नहीं मिले हैं.
डीसी ने कई बार दिया निर्देश
डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने भू-अर्जन कार्यालय की बैठक बुलाकर कई बार निर्देश दिया कि जिन लोगों की जमीनें ली गयीं हैं उनको मुआवजे का भुगतान कर दें. ताकि, काम सुचारू रूप से चल सके. किसी प्रकार का विरोध न हो. तमाम निर्देशों के बाद भी जिला भू-अर्जन कार्यालय आज तक रैयतों को मुआवजा भुगतान को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है.