अभिषेक पांडेय

पलामू : गर्मियों में पानी के लिए मचे हाहाकार के बाद बारिश में हर तरफ से बूंद-बूंद जल बचाने की आवाज़ आ रही है। सरकार ने इसके लिए जल शक्ति अभियान चला रखा है। सरकारी मुलाजिम गाँव-गाँव और गली-गली घूम कर जल संचयन के उपायों को बता रहे हैं। मगर पलामू की स्थिति यह है कि जंहा से पानी बचाने के मुहिम को धरातल पर उतारने की प्लानिंग हो रही है,अभियान की मॉनिटरिंग हो रही है वंही जल संचयन की व्यवस्था नहीं है।

हम बात कर रहे हैं पलामू के समाहरणालय भवन की। इसी बिल्डिंग में बैठकर डीसी पूरे पलामू पर नज़र रखते हैं।25.47 करोड़ खर्च कर नया समाहरणालय भवन बना है।लेकिन इस भवन में वर्षा जल को बेकार बहने से बचाने के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है। यही हाल अधिकांश सरकारी भवनों का है। भवन तो नया बनता गया लेकिन पानी बचाने की फिक्र नहीं दिखी।

नगर निगम ने डीसी -एसपी को लिखा लेटर

शहर में रैन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को धरातल पर उतारने की जिम्मेवारी मेदिनीनगर नगर निगम की है। लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाया है। नगर आयुक्त दिनेश प्रसाद का कहना है कि निगम के दायरे में आने वाले सरकारी भवनों को चिन्हित कर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के लिए पत्र लिखा गया है। नगर आयुक्त ने बताया कि डीसी,एसपी,डीईओ,सिविल सर्जन,एसडीओ,ज़िला परिषद,भवन निर्माण विभाग और सिंचाई विभाग को अपने भवन में वर्षा जल रोकने का उपाय करने के लिए लिखा गया है।

पानी को लेकर शौचालय जैसी जागरूकता नहीं

यह सभी जानते हैं कि जल है तो जीवन है बावजूद इसे बचाने के लिए अब तक सार्थक प्रयाश नहीं किया जा रहा है। शहर में स्थिति काफी खराब है। मार्च माह से ही पेयजल संकट विकराल हो जाता है। आधा शहर ड्राई जोन हो चुका है। पहले नगर पर्षद और अब नगर निगम पर यह जवाबदेही है कि भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने के लिए कार्य किया जाए। शहर के हर घर में वाटर हार्वेस्टिंग प्रबंध हो। मगर निगम इसमें पूरी तरह फेल है। हर घर मे शौचालय को लेकर जिस तरह जागरूकता अभियान चलाया गया था।उसी तरह वर्षा जल बचाने के लिए भी अभियान चले यह अब तक नहीं किया गया। वर्तमान में जो स्थिति है उसे देखकर नहीं लगता कि इस वर्ष शहर में बारिश के पानी को वाटर रिचार्ज के रूप में सदुपयोग हो पायेगा।

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