Joharlive Desk
नई दिल्ली । बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी अब सिर्फ बेटा या बेटी पर ही नहीं होगी। बहू और दामाद को भी यह जिम्मेदारी संभालनी होगी। यही नहीं सास-ससुर को सताने पर उन्हें जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है।
दरअसल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के भरणपोषण और कल्याण (संशोधन) अधिनियम, 2019 को अपनी मंजूरी दे दी है। यह बिल जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। इस बिल में ऐसे कई प्रावधान हैं, जिनसे बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
इस मसौदा विधेयक के एक प्रावधान के मुताबिक अगर दामाद या बहू बुजुर्ग सास-ससुर की देखभाल करने में नाकाम रहते हैं या फिर मासिक गुजारा भत्ता नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ केस चलाया जा सकता है। इसके अलावा 5 हजार रुपये का न्यूनतम जुर्माना या तीन महीने जेल या फिर दोनों का प्रावधान है।
विधेयक में संशोधन के मुताबिक सिर्फ सगे बच्चों पर ही नहीं बल्कि सौतेले बच्चों व गोद लिए गए बच्चों पर भी देखभाल की बराबर जिम्मेदारी होगी। मसौदे में सास—ससुर को शामिल किया गया है। भले ही वह वरिष्ठ नागरिक हों या नहीं।
विधेयक में बुजुर्गों को मासिक गुजारा खर्च की 10,000 रुपये की अधिकतम सीमा भी हटा दी गई है। अब अधिक आय वाले लोगों को अपने अपने माता-पिता के लिए गुजारा खर्च के तौर पर अधिक रकम देनी होगी।
हर पुलिस थाने में या जिला स्तरीय विशेष पुलिस इकाई में बुजुर्गों की शिकायतों को सुनने के लिए नोडल अधिकारी होंगे। एक समर्पित हेल्पलाइन नंबर भी होगा। बच्चों, दामाद या बहू द्वारा उपेक्षा किए जाने पर बुजुर्ग न्याय पाने के लिए भरण-पोषण अधिकरण से संपर्क कर सकते हैं।विधेयक के तहत प्राथमिकता उन वरिष्ठ नागरिकों के आवेदनों को दी जाएगी जिनकी आयु 80 वर्ष या अधिक है और यदि वे अपने बच्चों द्वारा उपेक्षा किये जाने की शिकायत दर्ज कराते हैं।