Joharlive Team
रांची। अपने अन्य चुनावी वादों के जैसे राज्य की महागंठबंधन सरकार महिला सुरक्षा पर भी विफल होती दिख रही है। झारखंड पुलिस के आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के मुताबित जनवरी से लेकर जुलाई तक 1033 रेप के मामले दर्ज हुए है जिसमें सिर्फ राजधानी राँची में 128 मामले दर्ज हुए हैं और रांची राज्य का रेप कैपिटल बनता हुआ देख रहा है।
कोरोना वायरस के कारण लगे हुए लॉकडाउन के समय पूरे राज्य में सार्वजनिक आवागमन व्यवस्था पर रोक थी और लोगों को ज़्यादा सा ज़्यादा घर पर ही रहने का निर्देश था लेकिन उसके वाबजूद बलात्कार की संख्या में बेतहाशा बृद्धि राज्य की ध्वस्त होती बिधि ब्यवस्था की और इंगित करती है।
चुनावी घोषणा पत्र में महिलाओं के अधिकार और सशक्तिकरण के नाम पर कई वादे किए गए थे : 3 लाख के आवादी पर एक महिला थाना बनने की वादा किया गया था।पुलिस वालों में महिलाओं को 33% प्रतिनिधित्व करने की बात की गई थी। घोषणा की गई थी कि महिलाओं के खिलाफ के अपराधों के मामले को तेजी से निपटारे के लिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जायंगे। मुख्य सहयोगी दल कांग्रेस ने घोषणा की थी कि यौन हिंसा या दुर्व्यवहार के शिकार महिलाओं को पुनर्वास किया जाएगा। संकट में फंसी महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए 24✖️7 हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी। राज्य सरकार यह सार्वजनिक करें कि इन वादों में से कितने वादे धरातल पर उतरे है ??
महिलाओं के सुरक्षा के मामले में राज्य सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि पिछले सात महीनों से लगातार बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अबतक क्या करवाई हुई है ?? जिस राज्य में महिलाएं सुरक्षित ना हो उस राज्य में विकाश के पैमानों की बात करनी बईमानी है !!
भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री से अबिलम्ब इस विषय की न्यायिक जाँच करवाकर उचित करवाई करने की मांग करती है।