रांची। झारखंड की धरती से उत्पादित बिजली से बांग्लादेश जगमग कर रहा है। गोड्डा में 1600 मेगावाट की क्षमता वाले अडाणी पावर झारखंड लिमिटेड (एपीजेएल) के प्लांट की दूसरी यूनिट भी 26 जून से पूरी तरह ऑपरेशनल हो गई है।
प्लांट की पहली यूनिट से बीते अप्रैल से ही 748 मेगावाट बिजली की सप्लाई शुरू कर दी गई थी। भारत के इस पहले अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट में बनाई जा रही पूरी बिजली कॉमर्शियल आधार पर सीधे बांग्लादेश को निर्यात की जा रही है। कंपनी ने आधिकारिक तौर पर बताया है कि 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन के जरिए अब प्रतिदिन 1496 मेगावाट की शुद्ध क्षमता के साथ बिजली मिलेगी।
सनद रहे कि बांग्लादेश को बिजली सप्लाई के लिए अडाणी की कंपनी एपीजेल का बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ 25 साल का करार है। यह पावर प्लांट 16 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यह देश का अपनी तरह का पहला पावर प्रोजेक्ट है। यहां सीधे ट्रेन से कोयले की सप्लाई होती है।
कंपनी का दावा है कि यह जीरो प्रदूषण वाला प्लांट है। यह देश का पहला पावर प्लांट है, जिसने पहले दिन से ही शत-प्रतिशत फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (एफजीडी), एससीआर और जीरो वाटर डिस्चार्ज के साथ अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया है। यहां बनाई जा रही बिजली लिक्विड फ्यूल से उत्पन्न महंगी बिजली की जगह लेगी, जिससे खरीदी गई बिजली की औसत लागत में कमी आएगी।
गौरतलब है कि गोड्डा पावर प्रोजेक्ट ने जून 2015 के बाद तब आकार लिया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की यात्रा पर गये थे। वहां प्रधानमंत्री मोदी, शेख हसीना के साथ मुलाकात में बांग्लादेश में भारतीय ऊर्जा कंपनियों के जरिए बिजली मुहैया कराये जाने पर सहमति बनी थी। प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा के बाद इस दिशा में प्रगति हुई। 11 अगस्त 2015 को अडाणी और बांग्लादेश ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए और दो साल बाद अप्रैल 2017 में शेख हसीना की नई दिल्ली यात्रा के दौरान इम्प्लीमेंटेशन एग्रीमेंट पर मुहर लगी।
शर्तों के मुताबिक इस प्लांट से उत्पादित बिजली का 25 फीसदी हिस्सा झारखंड को दिया जाना है। अडाणी समूह झारखंड को दी जाने वाली 400 मेगावाट बिजली एनटीपीसी से खरीदकर उपलब्ध करायेगा। इसके लिए एपीजेएल ने झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को पावर परचेज एग्रीमेंट का प्रस्ताव दिया है। लेकिन, इस पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है।