जमशेदपुर : 1993 में हुए जमशेदपुर के चर्चित टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष बिजी गोपाल हत्याकांड मामले में आजीवन सजा काट रहे सजायाफ्ता कुणाल जैना को रिहा कर दिया गया है. अच्छे आचरण के लिए सजा पूरा होने के पूर्व ही रिहा किया गया है. इसके अलावा अन्य मामलों के दो अन्य सजायाफ्ता को भी अच्छे आचरण को देखते हुए सजा पूरी होने से पहले ही रिहा किया गया. 14 अक्टूबर 1993 को दोपहर में टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष बिजी गोपाल अपने अंगरक्षक के साथ बिष्टुपुर टाटा वर्कर्स यूनियन कार्यालय से निकल रहे थे. इस दौरान गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी. वहीं उनके अंगरक्षक की भी मौत हो गई थी. इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के हस्तक्षेप से मामले की सीबीआई जांच भी करवाई गई थी. जिसमें कुणाल जाना समेत दो अन्य लोगों को सजा सुनाई गई थी.
क्या कहा रिहा होने के बाद
रिहा होने के बाद कुणाल जैना ने अपने आप को निर्दोष बताया. उन्होंने कहा कि उनकी गलती बस इतनी थी कि जिस जगह पर हत्या हुई उस जगह पर वे बाहर देखे गए थे. प्रशासन ने उनसे सरकारी गवाह बनने का दबाव बनाया पर वे सरकारी गवाह नहीं बने. जिसकी वजह से उन्हें यह सजा काटनी पड़ी. उन्होंने बताया कि झारखंड इन्नोवेटेड लिबरल ऑर्गनाइजेशन के तहत 400 आदिवासी बंदियों को उनके द्वारा शिक्षित किया गया. 208 कैदियों को मुख्य धारा से उनके द्वारा जोड़ा गया. जिसके बाद वे कैदी दोबारा जेल नहीं आए. उन्होंने कहा कि अब मेरा एक ही उद्देश्य है कि राह से भटके युवाओं को मुख्य धारा से जोड़ना. उन्होंने सरकार का आभार व्यक्त किया कि आज उन्हें रिहा किया जा रहा है. युवाओं से कहा कि अपराध की दुनिया को छोड़कर कुछ अच्छा काम करें. देश समाज का नाम रोशन करने का कार्य करें.