नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेना के एक मेजर को राष्ट्रीय सुरक्षा उल्लंघन के मामले में दोषी माना है. इसके बाद मेजर को उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि मेजर स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड में तैनात थे. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति, जो तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर भी हैं, उन्होंने सेना अधिनियम, 1950 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगभग एक सप्ताह पहले मेजर की सेवाओं को समाप्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए थे. जानकारी के मुताबिक, सेवा समाप्ति आदेश सितंबर के मध्य में जारी किया गया था और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे अधिसूचित किया गया. मेजर की बर्खास्तगी पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है.
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क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक, सेना ने मार्च 2022 में मेजर की गतिविधियों की जांच शुरू की थी, जब संबंधित अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी साझा करने सहित संदिग्ध गतिविधियों में उनकी कथित संलिप्तता का पता चला था. सूत्रों ने कहा कि मेजर की सेवा समाप्ति ‘बोर्ड ऑफ ऑफिसर्स’ के निष्कर्षों पर आधारित थी, जिसे आरोप सामने आने के बाद उन्हें पिछले साल ही निलंबित कर दिया गया था. सूत्रों ने बताया कि उस समय मेजर उत्तर भारत में एक स्थान पर एसएफसी इकाई में तैनात थे. यह पता चला है कि मेजर का सोशल मीडिया पर एक ऐसे ऑपरेटिव के साथ लिंक था, जिसके बारे में माना जाता है कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए काम करता था. सूत्रों ने कहा कि मेजर के खिलाफ जासूसी में संभावित संलिप्तता सहित वर्गीकृत जानकारी रखने और अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा करने का आरोप है. उन्होंने कहा कि मेजर के फोन में क्लासिफाइड जानकारी मिली है, जो निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है. पता चला है कि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के संभावित उल्लंघन को लेकर एक ब्रिगेडियर-रैंक अधिकारी सहित लगभग डेढ़ दर्जन रक्षा कर्मियों की अलग से जांच की जा रही है. वे ‘पटियाला पेग’ नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा पाए गए, जिसमें मेजर भी शामिल थे.
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