रांची : राज्य के सबसे बड़े सरकार हॉस्पिटल रिम्स के मुख्य भवन में फायर फाइटिंग के लिए पाइपलाइन नहीं थे. ऐसे में फायर डिपार्टमेंट के साथ मिलकर पूरे हॉस्पिटल में पाइपलाइन बिछाए गए. जिससे कि आग लगने की स्थिति में उससे निपटा जा सकेगा. इसके लिए प्रबंधन ने करोड़ों रुपए भी खर्च किए. लेकिन महज कुछ महीने में ही इसकी अनदेखी शुरू हो गई. अगर यहीं हाल रहा तो फायर फाइटिंग के लिए बिछाई गई पाइपलाइन को ही रेस्क्यू करने की जरूरत पड़ेगी. चूंकि अभी से कई जगहों पर पाइपलाइन में लीकेज हो गई है. वहीं जगह-जगह पाइप सड़ने लगे है. बता दें कि भवन के निर्माण के बाद से पूरा हॉस्पिटल फायर फाइटिंग सिलेंडर के भरोसे था.
मेंटेनेंस के नहीं है इंतजाम
हॉस्पिटल में एकबार लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जाते है. इसके बाद कोई भी चीज हो उसके मेंटेनेंस की ओर प्रबंधन ध्यान नहीं देता. इस चक्कर में चीजें बर्बाद हो जाती है. बर्बाद होने के बाद प्रबंधन नए सिरे से टेंडर निकालता है. जिससे कि समय और पैसों दोनों की बर्बादी होती है. कुछ ऐसा ही हाल फायर फाइटिंग सिस्टम का है. जिस पर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में पाइप जर्जर हो जाएंगे. वहीं आग की स्थिति में निपटना मुश्किल हो जाएगा.
60 साल से नहीं थी व्यवस्था
हॉस्पिटल के निर्माण के बाद से पूरे हॉस्पिटल में फायर फाइटिंग के लिए पाइपलाइन नहीं बिछाए गए थे. ऐसे में पूरे हॉस्पिटल में जगह-जगह फायर फाइटिंग के लिए छोटे-बड़े सिलेंडर लगाए गए थे. जो कि आग लगने की स्थिति में निपटने के लिए काफी नहीं थे. देश के कई बड़े हॉस्पिटलों में अलगली की घटनाओं के बाद प्रबंधन की नींद खुली. इसके बाद फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट के साथ समन्वय स्थापित करते हुए पूरे हॉस्पिटल में आग से निपटने के लिए पाइपलाइन बिछाया गया. इसके बाद सभी वार्डों में भी इसे कनेक्ट किया गया.
इस मामले में रिम्स के पीआरओ ने कहा कि ऐसी कोई जानकारी तो नहीं है संबंधित विभाग को इसकी सूचना देकर ठीक कर लिया जाएगा.
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