JoharLive Desk
भुवनेश्वर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को भुवनेश्वर में बुद्धिजीवियों की एक सभा को संबोधित किया। जोर देकर कहा कि संघ को किसी से नफरत नहीं है। आरएसएस का उद्देश्य भारत में परिवर्तन के लिए सभी समुदायों को संगठित करने का है, न सिर्फ हिंदू समुदाय को। भागवत ने कहा, ‘राष्ट्रवाद लोगों को डराता है क्योंकि वह तुरंत इसे हिटलर और मुसोलिनी से जोड़ देते हैं। लेकिन भारत में राष्ट्रवाद ऐसा नहीं है क्योंकि यह राष्ट्र अपनी सामान्य संस्कृति से बना है।’
भागवत ने कहा, ‘सही तरीका यह है कि ऐसे उत्कृष्ट इंसान तैयार किए जाएं, जो समाज को बदलने के साथ ही देश की कायापलट में अहम भूमिका निभा सकें क्योंकि 130 करोड़ लोगों को एक साथ बदलना मुमकिन नहीं है।’ भारत की विविधता की तारीफ करते हुए भागवत ने कहा कि इसने देश को एक डोर में बांधा हुआ है। यहां के लोग विविध संस्कृति, भाषा और भौगोलिक स्थानों के बावजूद खुद को भारतीय मानते हैं। इस अद्वितीय अहसास के कारण मुस्लिम, पारसी या अन्य मजहबों में विश्वास रखने वाले लोग खुद को यहां सुरक्षित समझते हैं। उन्होंने कहा, ‘यहूदी मारे-मारे फिरते थे अकेला भारत है जहां उनको आश्रय मिला। पारसियन (पारसी) की पूजा और मूल धर्म केवल भारत में सुरक्षित हैं। विश्व के सर्वाधिक सुखी मुसलमान भारत में मिलेंगे। ये क्यों है? क्योंकि हम हिंदू हैं।’
भागवत ने कहा कि समाज में बदलाव लाना जरूरी है ताकि देश का भाग्य बदले। इसके लिए ऐसे लोगों को तैयार करना होगा, जिनका चरित्र साफ सुथरा हो, जो प्रत्येक सड़क, गांव और शहर में नेतृत्व रखने की क्षमता रखें। यह हमारी इच्छा है कि आरएसएस और समाज एक सिंगल ग्रुप की तरह मिलकर काम करे। इसका श्रेय भी समाज को ही दिया जाए। हम कोई श्रेय नहीं लेना चाहते। उन्होंने बताया कि कैसे अलग-अलग देश विभिन्न बुनियाद या लक्ष्यों पर बने थे।
संघ प्रमुख ने कहा कि अमेरिका की स्थापना आजादी और सुख की तलाश पर हुई थी। उन्होंने कहा, ‘देश में बसे विभिन्न राष्ट्रीयताएं एक राजा (इंग्लैंड के) को नापसंद करने के लिए साथ आईं, जो उनके व्यापार प्रथाओं में एक बाधा थी। इसी कारण अमेरिका का निर्माण हुआ। भारत अलग और अनोखा है। यहां हमने सबसे अमीर या सबसे शक्तिशाली की पूजा नहीं की। इस भूमि में बलिदान के लिए सर्वोच्च सम्मान है।’
संघ प्रमुख शनिवार को नौ दिन के दौरे पर ओडिशा पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, वह अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की पहली बैठक में शिरकत करेंगे। इस दौरान उनके साथ भैयाजी जोशी भी होंगे। उन्होंने बताया कि आरएसएस कार्यकारिणी समिति की बैठक एक निजी विश्वविद्यालय में 16 से 18 अक्तूबर तक होगी।
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