रांची : आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मी नारायण मुंडा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु, खूंटी आगमन को लेकर कहा है कि यह जनजातीय गौरव दिवस के नाम पर भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम करना कहने मात्र का सरकारी कार्यक्रम है, लेकिन वास्तव में यह पूरी तरह राजनीतिक अभियान लगता है. यह अमर शहीद बिरसा मुंडा और आदिवासी उलगुलान की धरती का राजनीतिक इस्तेमाल है. लक्ष्मीनारायण मुंडा सोमवार को करमटोली स्थित धुमकुड़िया भवन में पत्रकारों से बात कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम अघोषित तौर पर 2024 का चुनावी अभियान का हिस्सा है. अगर प्रधानमंत्री मोदी आदिवासियों के प्रति ईमानदार है और जनजातीय समाज के गौरव की चिंता कर रहे हैं तो छत्तीसगढ़ ,मणिपुर , मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड के आदिवासियों के खिलाफ जो शोषण, जुल्म,अत्याचार,दमन, हत्या हो रही है, आदिवासियों की जमीनें लूटी जा रही है, संवैधानिक हक-अधिकारों पर हमला हो रहा है. इस पर प्रधानमंत्री मोदी को पहल करना चाहिए, इस मामले में तो वे चुप क्यों रहते हैं? प्रकृति पूजक आदिवासी समुदाय के लिए अलग धर्म सरना कोड को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का क्या कहना है, बताना चाहिए? वहीं, यूसीसी, वन अधिकार संरक्षण अधिनियम -2023 लाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदिवासियों के संवैधानिक विशिष्ट कानूनों और हक-अधिकारों का खात्मा क्यों करना चाहते हैं? आखिर मोदी आदिवासी बहुल क्षेत्र बिरसा मुंडा के उलगुलान की धरती में आकर क्या आदिवासी का भला करना चाहते हैं?
आदिवासियों के समग्र विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करें प्रधानमंत्री : सुनील
केंद्रीय धूमकुड़िया, करमटोली, रांची के अध्यक्ष सुनील टोप्पो ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के आने पर हमलोग स्वागत करते हैं पर वे यहां आकर आदिवासी समुदाय से संवाद करें. आदिवासियों के समग्र विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करे. उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय को हमेशा छला गया है. बिरसा मुंडा और आदिवासी समुदाय के विकास को लेकर क करोड़ो रुपए लूट ली गई. आजादी के 75 सालों बाद भी खूंटी सहित सभी आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं और आधारभूत संरचना का विकास नही हो पाया है. विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं की राशि लूटी जा रही है.
अफसर-कर्मचारी योजनाओं की राशि की लूट-खसौट में मशगुल हैः दुर्गावती
केंद्रीय सरना सांगोम समिति, करम अखाड़ा, खूंटी के अध्यक्ष दुर्गावती ओड़ेया ने कहा कि खूंटी जिला पुलिस जुल्म, उग्रवादी नक्सलवादी के नाम पर आम आदिवासियों का दमन किया जाता है. खूंटी जिले के अधिकतर गांवों के स्कूलों, छात्रावासों, पंचायत भवनों, सामुदायिक भवनों इत्यादि जगहों पर पुलिस प्रशासन/ सीआरपीएफ/पुलिस कैंप बनाया गया है. खूंटी जिले के अफसर-कर्मचारी विकास और कल्याणकारी योजनाओं की राशि की लूट-खसौट करने और रिश्वतखोरी-कमीशनखोरी में मशगुल हैं. पूरे जिले में अफसर/कर्मचारी /दलाल/ अपराधी/माफिया/बिचौलिया/ पुलिस प्रशासन का अवैध गठजोड़ हावी हैं. जनसवालों,जनमुद्दों को लेकर लड़नेवालों, आवाज़ उठाने वालों को दबाया जाता है और आम आदिवासियों को डरा-धमकाकर आतंकित किया जाता है.
गांवों में संवैधानिक अधिकारों का पालन ढंग से नहीं हो रहा है : सुरजू
खूंटी जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष सुरजू हास्सा ने कहा कि खूंटी जिले के ग्राम सभा और गांवों में संवैधानिक अधिकारों का पालन ढंग से नहीं हो रहा है. पांचवीं अनुसूची क्षेत्र का जिला होने के बावजूद हमें संवैधानिक हक-अधिकारों से वंचित किया जाता है. इनलोगों के अलावे इस संवाददाता सम्मेलन को दामू मुंडा ने भी संबोधित किया.
इनकी रही मौजूदगी
मौके पर लक्ष्मीनारायण मुंडा संयोजक, आदिवासी समन्वय समिति, झारखंड के अलावा दुर्गावती ओड़ेया अध्यक्ष, केन्द्रीय सरना सांगोम समिति खूंटी, सुनील टोप्पो अध्यक्ष, केंद्रीय धूमकुड़िया करमटोली, रांची, सुरजु हास्सा अध्यक्ष, खूंटी जिला मुखिया संघ व बुधराम बोदरा अध्यक्ष,बिरसा मुंडा आदिवासी युवा संगठन मौजूद थे.
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