रांची: मेन रोड में 10 जून को हुई हिंसा की जांच शुरू कर दी गई है. केस के अनुसंधान का जिम्मा डीएसपी महेंद्र सिंह मुंडा को दी गई है जबकि सीआईडी के रांची क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर रविकांत प्रसाद को सहायक अनुसंधान पदाधिकारी बनाया गया है.

CID जांच के लिए डीजीपी नीरज सिन्हा के निर्देश पर 22 जून को आदेश जारी किया गया था. डेली मार्केट थाना में दर्ज केस में 22 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है. वहीं आठ से दस हजार अज्ञात लोगों को भी दंगा, सरकारी कामकाज में बाधा, हिंसा करने के संगत धाराओं में आरोपी बनाया गया था.

जिन लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है, उसमे मोहम्मद सरफराज, कैफी, नदीम अंसारी, शहबाज, मो तबारक, मो साहिल, मो मोद्दसीर, मो सुफियान, शबीर अंसारी, मोहम्मद उसमान, तबारक, मोहम्मद अफसर, सद्दाम हुसैन, सदाब आलम, मोहम्मद अजीम, मोहम्मद सदाम, जमाल गद्दी, माजिद आलम, खालिद उमर, नकीब उर्फ मिंटू, मुन्ना गद्दी, सद्दाम गद्दी को नामजद आरोपी बनाया गया था.

10 जून की हिंसा को लेकर दर्ज केस में बताया गया है कि नजायज मजमा लगाकर भीड़ ने पथराव किया, फायरिंग की. रोकने पर पुलिस बलों के हथियार लूटने की कोशिश की गई.

मौके पर पुलिस ने भीड़ को समझाने का कोशिश की, इसके बाद ध्वनि विस्तारक यंत्र से भीड़ को हटने को कहा गया. लेकिन भीड़ नहीं मानी. इसके बाद पांच राउंड आसू गैस छोड़ा गया.

भीड़ के नहीं मानने पर हवाई फायरिंग का जिक्र प्रशासन के द्वारा दर्ज कराए गए एफआईआर में है. अब सीआईडी पूरे मामले की स्वतंत्र जांच करेगी.

अब तक की जांच में यह बात साबित हो चुकी है कि रांची के डोरंडा, हिंदपीढ़ी, डेली मार्केट,सुखदेवनगर ,कोतवाली और लोअर बाजार थाना क्षेत्रों में भाजपा नेत्री के बयान के बाद से ही रांची को हिंसा के आग में झोंकने की तैयारियां शुरू कर दी गई थी.

रांची के बाहर से आकर लोगों ने भाजपा नेत्री के द्वारा दिए गए बयान को सुना सुना कर युवाओं को धर्म के नाम पर जमकर बरगलाया. उन्हें इस बात के लिए तैयार किया गया कि वह 10 जून को रांची में कुछ ऐसा करेंगे जिससे हर जगह दहशत फैल जाए. इसके लिए इंस्टाग्राम फेसबुक और व्हाट्सएप पर अलग-अलग ग्रुप बनाए गए जिसके माध्यम से रांची के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को जोड़ा गया और उन्हें किसी बड़े धार्मिक स्थल पर हमला करने की साजिश का हिस्सा बनाया गया.

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