रांची: बीते दिनों रिम्स में मेडिकोज और होमगार्ड के बीच हुई मारपीट घटना की रिपोर्ट जांच समिति ने सौंप दी है. जिसमें दोनों पक्षों ने बताया कि आखिर उस रात क्या हुआ था. 30 अगस्त को शाम 4:30 बजे जांच समिति के सदस्यों (आमंत्रित सदस्य के रूप में उप डीन के साथ) की उपस्थिति में बैठक हुई. वहीं बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए गए. जिसमें सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से जिन तथ्यों पर सहमति व्यक्त की है वह प्रबंधन को डिटेल्स में उपलब्ध करा दिया गया है. 

ये बातें जांच में आई सामने

1. स्टेडियम का गेट बंद होने की वजह मामले की शुरुआत हुई। एमबीबीएस छात्रा ने मोबाइल में अपना आईडी कार्ड दिखाया, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद होमगार्ड के जवान उसे मानने को तैयार नहीं हुए. बहस के बाद छात्रा स्टेडियम में घुस गई और 30 मिनट तक घूमती रही, जहां बाहरी लोग भी मौजूद थे. जब उसने स्टेडियम से बाहर निकलने की कोशिश की, तो पाया कि गेट बाहर से बंद था जिस वजह से वह घबरा गई.

2. दोनों पक्षों की ओर से अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया, जिससे संस्थान की छवि प्रभावित हुई है. दोनों पक्षों को अभद्र भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए। वीडियो में दोनों पक्षों की ओर से धक्का-मुक्की दिखाई दे रही है.

3. समिति को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत वीडियो रिकॉर्डिंग में घटना के दिन (सूचित समयानुसार रात्रि 10 बजे) बड़ी संख्या में गार्ड बैडमिंटन कोर्ट से बाहर निकलते दिखाई दे रहे हैं जबकि उस समय वहां केवल कुछ छात्र ही दिखाई दे रहे थे. इस घटना के बाद दोनों पक्षों में मारपीट शुरू हो गई. वहीं वीडियो के माध्यम से चिन्हित किए गए लगभग 20 जवानों को तत्काल प्रभाव से रिम्स परिसर से हटा दिया गया है.

4. मारपीट में दोनों पक्ष घायल हुए है, समिति अनुशंसा करती है कि दोनों पक्षों के पीड़ित एक सप्ताह के भीतर अपनी चोट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.

5. दोनों पक्षों के बयान के अनुसार न तो कोई हथियार लूटा गया और न ही किसी लड़की/महिला से छेड़छाड़ की गई है.

6. एक होमगार्ड ने निम्न जाति का कहे जाने की शिकायत दर्ज की है। दूसरे पक्ष ने ऐसी बात कहने से मना किया है. चिकित्सकों की ओर से सभी जातियों और धर्मों के छात्र शामिल थे. घटना की शुरुआत एक चिकित्सक लड़की से हुई जो स्वयं एसटी समुदाय से है.

7. जिन डॉक्टरों के नाम एफआईआर में दर्ज हैं, वे ड्यूटी पर मौजूद थे और उनके नाम आपातकालीन विभाग में ड्यूटी रोस्टर में दर्ज थे.

समाचार पत्रों में खबर पर मेडिकोज की ओर से स्पष्टीकरण

1. होमगार्ड द्वारा एफआईआर में जिन छात्रों के नाम दर्ज किए गए हैं, वे उस समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे. उनके पास इस कथन को साबित करने के लिए ठोस सबूत और साक्ष्य मौजूद हैं. उनमें से अधिकांश छात्र आपातकालीन विभागों में अपनी ड्यूटी कर रहे थे.

2. कई मीडिया में संस्थागत एफआईआर को काउंटर एफआईआर बताया गया है जो सत्य नही है. छात्र, जेडीए सदस्य, अपर चिकित्सा अधीक्षक लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. शैलेश त्रिपाठी और डॉ. लखन मांझी के साथ संस्थागत एफआईआर दर्ज कराने के लिए रात करीब 9:30 बजे इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम गए थे. एफआईआर दर्ज करने के दौरान उन्हें छात्रों से खबर मिली कि बैडमिंटन कोर्ट को होमगार्ड के जवानों ने घेर लिया है और उनमें से कुछ बैडमिंटन कोर्ट के अंदर घुस गए हैं और बिना किसी उकसावे के निहत्थे छात्रों को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया है, जिनकी संख्या करीब 100 थी. इसकी सूचना मिलने पर सभी पदाधिकारी एफआईआर की कार्यवायी को छोड़कर बैडमिंटन कोर्ट की ओर चले गए , जिससे एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई.

3. छात्रों द्वारा जाति आधारित अपमानजनक टिप्पणी के संबंध में छात्रों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी होमगार्ड ने नाम का बैज नहीं पहना था और उनकी पहचान और जाति अज्ञात थी, जबकि झड़प के समय सभी धर्मों और समुदायों के छात्र मौजूद थे. इसलिए होमगार्ड द्वारा लगाया जा रहा यह आरोप पूरी तरह से निराधार है.

4. छात्रों द्वारा कोई हथियार नहीं लूटा गया और न ही ऐसा कोई प्रयास किया गया क्योंकि छात्रों को शस्त्रागार के स्थान की कोई जानकारी नहीं थी.

5. छात्रों द्वारा किसी भी महिला होमगार्ड के साथ अनुचित शारीरिक संपर्क नहीं किया गया और न ही किसी की वर्दी फाड़ी गई. ये सभी मनगढ़ंत और निराधार आरोप छात्रों और डॉक्टरों की गरिमा को बदनाम करने के लिए लगाए जा रहे हैं.

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