रांची: राजधानी में प्राइवेट हॉस्पिटलों की मनमानी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. कहीं बिल के नाम पर शव को रोक लिया जाता है तो कहीं बिल के नाम पर मरीज को बंधक बना लिया जाता है. अब एक ताजा मामला शहर के जेनेटिक हॉस्पिटल का सामने आया है. जहां डॉक्टरों के हॉस्पिटल छोड़ने के बावजूद प्रबंधन के उनके नाम पर मरीजों को एडमिट कर इलाज करता रहा. इतना ही नहीं उनके नाम के सिग्नेचर और मुहर का भी इस्तेमाल किया गया. इस फर्जीवाड़े का सच सामने आने के बाद हॉस्पिटल पर झारखंड आरोग्य सोसायटी ने 1.12 करोड़ रुपए का फाइन लगाया है. वहीं पांच दिनों के अंदर फाइन की राशि जमा करने को कहा गया है. इसके अलावा झारखंड आरोग्य सोसायटी हॉस्पिटल प्रबंधन पर एफआईआर भी दर्ज कराएगी.

क्या है पूरा मामला

जेनेटिक हॉस्पिटल पर डॉक्टरों के फर्जी मुहर और हस्ताक्षर का इस्तेमाल करने का आरोप है. हॉस्पिटल पर लगाए गए जुर्माने में मरीजों से वसूली गई राशि के लिए 17.53 लाख रुपये और बिना सेवा दिए बिल बनाने के लिए 94.48 लाख रुपये फाइन लगाया हैं. जुर्माने की राशि से 5.89 लाख रुपये वसूल किए गए हैं. बाकी राशि 1.06 करोड़ रुपये जमा करने के लिए पांच दिन का समय दिया गया है. आदेश में कहा गया है कि शिकायतों की जांच सिविल सर्जन रांची ने की. जिसमें इस बात की पुष्टि हुई कि अस्पताल ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों से पैसे लिए और डॉक्टरों के फर्जी मुहर व हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया. डॉक्टर के नौकरी छोड़ने के बाद भी सील का इस्तेमाल किया गया.

ऐसे की गई गड़बड़ियां

डॉ. भारद्वाज नारायण चौधरी ने जेनेटिक सुपर स्पेशियलिटी में अगस्त 2022 से 31 अक्टूबर 2022 तक काम किया था. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. लेकिन अस्पताल ने 31 अक्टूबर 2022 के बाद भी डॉ. चौधरी की सील और उनके हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया. उनके नाम पर इलाज करा रहे मरीजों से भुगतान भी लिया गया.

डॉ. जय पलक ने दिसंबर 2022 तक इस अस्पताल में अपनी सेवाएं दीं. लेकिन इस अवधि के बाद भी अस्पताल ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करने और भुगतान लेने के लिए उनकी सील और हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया है.

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