Joharlive Desk
नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच बंदी के चलते दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हजारों लोग पैदल ही अपने घरों की ओर रवाना हो गए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली बंद है और मकान मालिक भी वहां रहने नहीं दे रहे।
काम-धंधा सब ठप हो गया है। पेट पालने के लिए शहर आए मजदूरों के पास अब वहां रुकने की कोई वजह नहीं बची। बस-ट्रेन सब बंद है। मजबूरी में मजदूर परिवार के साथ पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांवों के लिए रवाना हो चुके हैं। दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर ऐसे ही हजारों लोग पैदल अपने गांवों की ओर जाते हुए नजर आए।
यूपी की ज्यादातर सड़कों पर ऐसे मजदूरों के जत्थे देखने को मिल जाएंगे। पैसे नहीं हैं, खाना नहीं है। पेट पालने के लिए शहर आए थे और भूखे ही गांव वापस लौटना पड़ रहा है। इन हालात से कोई अनजान नहीं है। संक्रमण का खतरा बरकरार है, लेकिन इंसानियत के नाते पुलिस और प्रशासन इन जरूरतमंदों की मदद के लिए हर जरूरी कोशिश कर रहे हैं। रास्ते में ऐसे मजदूरों को खाना खिलाया जा रहा है। संक्रमण से बचने के लिए मास्क दिए जा रहे हैं और साथ ही समझाया भी जा रहा है कि आपका ये सफर आपके अपनों को ही मुश्किल में डाल देगा। लेकिन, सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकले ये मजदूर कहते हैं कि हम कोरोना से शायद बच भी जाएं, लेकिन भुखमरी से जरूर मर जाएंगे। इन लोगों के पैरों में छाले पड़ गए हैं, पर ये रुक नहीं रहे… चलते जा रहे हैं अपने गांवों की ओर।
हालांकि लॉकडाउन से गैर जनपदों में आए दिहाड़ी मजदूरों का बुरा हाल है। जिले में काम करने वाले कई लोग अपने घर नहीं जा पा रहे हैं। वहीं बाहरी जनपदों के लोग भी भूख से परेशान हैं। शुक्रवार को लखनऊ दिल्ली रोड पर दिल्ली से पैदल ही आ रहे लोगों के पास खाने-पीने का राशन नहीं होने पर उन्होंने खेत से गन्ना तोड़कर खाना शुरू कर दिया।