Johar Live Desk : हिंदू धर्म में हर साल दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है। चैत्र मास में आने वाली छठ को चैती छठ के नाम से जाना जाता है। चैती छठ लोकआस्था का महापर्व है, जो खासतौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। खासकर, दोनों छठ पूजा बिहार में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज चैत्र शुक्ल तृतीया उपरांत चतुर्थी मंगलवार को नहाय-खाय से शुरू हो गया है। छठ व्रती नदी में स्नान करने के बाद पूजन कर प्रसाद के रूप में अरवा चावल, सेंधा नमक से निर्मित चने की दाल, लौकी की सब्जी, आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय इस महा अनुष्ठान का संकल्प लेंगे।
चैत्र शुक्ल षष्ठी तीन अप्रैल दिन गुरुवार को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में डूबते सूर्य को व्रती अर्घ्य देंगे। चार अप्रैल को रवि योग के संयोग में व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारण के बाद महाव्रत को पूर्ण करेंगे। छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चासनी के सेवन का खास महत्व है।
वैदिक मान्यता के अनुसार, छठ के प्रसाद ग्रहण करने से शरीर निरोग होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस , गुड़ के सेवन से आंखों की पीड़ा समाप्त होने के साथ तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। स्वस्थ जीवन के लिए छठ जरूरी है। प्रकृति में फास्फोरस सबसे ज्यादा गुड़ में पाया जाता है।
मौसमी फल प्रसाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। परिवार की सुख समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जाने वाले इस व्रत की खासियत है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित पंडित की आवश्यकता नहीं होती और नहीं मंत्रोच्चारण की कोई जरूरत है। छठ पर्व में साफ-सफाई का विशेष महत्व रखा जाता है।
एक नजर में चैती छठ:
1 अप्रैल 2025, मंगलवार: नहाय-खाय
2 अप्रैल 2025, बुधवार: खरना
3 अप्रैल 2025, गुरुवार: सायंकालीन अर्घ्य
4 अप्रैल 2025, शुक्रवार: उदयकालीन अर्घ्य व पारण
लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज से नहाय-खाय के साथ हो गई है। इस पर्व को लेकर बाजारों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। व्रती महिलाएं छठ पूजा की तैयारियों में जुट गई हैं।
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