नयी दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी ने कहा है कि बुजुर्ग हमारे देश के इतिहास के निर्माता और परिवारों के स्तंभ हैं. उनका सम्मान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है. उन्होंने यह बात 31वें स्थापना दिवस के अवसर पर ‘वृद्ध व्यक्तियों के अधिकार’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि वृद्धों के सामने कई चुनौतियां हैं, जैसे वित्तीय असुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल की असमानताएं, सामाजिक अलगाव और भेदभाव. उन्होंने कहा कि बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा केवल कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है. आयोग ने बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक कोर ग्रुप बनाने और दिशानिर्देश जारी करने जैसे कई कदम उठाए हैं.
कानून और सरकारी योजनाएं
उन्होंने कहा कि वृद्धों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कानून और सरकारी योजनाएं मौजूद हैं. लेकिन उनका प्रभावी कार्यान्वयन एक प्रमुख चुनौती है. इनमें सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं, मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं, पर्याप्त पेंशन, सामाजिक सुरक्षा लाभ, और वित्तीय साक्षरता शामिल हैं. आयोग के महासचिव भरत लाल ने कहा कि भारत में बड़ों का सम्मान करने की गहरी परंपरा रही है, लेकिन समकालीन भारत में तेजी से शहरीकरण और एकल परिवार संरचना ने नई चुनौतियां उत्पन्न की हैं. उन्होंने बुजुर्गों के कल्याण और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संरचनात्मक और कानूनी ढांचे की समीक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया.
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