धनबाद : भारत में जब तक शिक्षा का भारतीयकरण नहीं होता, वैदिक शिक्षा पद्धति अपनाई नहीं जाती पूरे देश में एक जैसा पाठ्यक्रम स्थापित नहीं होता तब तक इंडिया से भारत का सपना साकार नहीं हो सकता. अभी देश में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग शिक्षा पद्धति है. बिहार बोर्ड अलग झारखंड बोर्ड अलग बंगाल बोर्ड अलग यूपी बोर्ड अलग सीबीएसई अलग आईसीएसई बोर्ड अलग ऐसे में बच्चे बगैर कोचिंग संस्थान के बड़े प्रतियोगी परीक्षाओं को क्रैक नहीं कर पाते. जब देश भर में एक समान शिक्षा पद्धति और एक ही पाठ्यक्रम पर पढ़ाई होगी और शिक्षा का पूर्ण भारतीयकरण होगा तभी देश 2047 तक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ पाएगा. यह बातें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने धनबाद आईआईटी आईएसएम में आयोजित एक व्याख्यान के दौरान कहीं.
मीडिया से बात करते हुए अश्विनी कुमार उपाध्याय ने बताया कि आईआईटी आईएसएम में पढ़ने वाले छात्र भविष्य में भारत के लिए कम करें भारतीय होकर भारत के विकास के दिशा में अपना सर्वस्व निछावर करें तब जाकर ही 2047 तक भारत की परिकल्पना साकार हो सकती है और इंडिया पूरी तरह से खत्म हो सकता है. जब तक देश में मैकाले शिक्षा पद्धति रहेगी हम यूरोपीय कलचर को अपनाते रहेंगे अश्लीलता बढ़ती रहेगी संस्कार खत्म होते रहेंगे . ऐसे में अब समय की मांग है कि भारत में वैदिक शिक्षा पद्धति को अपनाया जाए यही देश को विकसित करने में कारगर मूल मंत्र साबित हो सकता है.
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