पश्चिम बंगाल : खड़गपुर में तैनात सेना के जवान फगुआ उरांव का शव रविवार की सुबह गुमला पहुंचा।तिरंगे में लिपटे हुए शव को सेना के वाहन से लाया गया। उरांव ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। सेना की ओर से कोलकाता में इलाज कराया जा रहा था। गत 26 नवंबर को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसके बाद सेना की ओर से फूलों से सुसज्जित वाहन में उनके शव को उनके घर ढोढरी टोली पहुंचाया गया। शव पहुंचते ही पूरा माहौल गमगीन हो गया। जवान के परिजनों की रोने की आवाज सुनकर सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। शव के अंतिम दर्शन व श्रद्धांजलि के लिए लोगों का तांता लगा रहा।
इस दौरान भारत माता की जय व जवान फगुआ उरांव अमर रहे के नारे गूंजते रहे। इससे पूर्व जवान के पार्थिव शरीर के जिला मुख्यालय में प्रवेश करते ही जगह-जगह शहरवासियों व उनके शुभचिंतकों की ओर से श्रद्धांजलि दी गई। पूरे सम्मान के साथ जवान के पार्थिव शरीर को घर के अंदर ले जाया गया। इसके बाद धार्मिक विधि-विधान पूर्ण किया गया। सुबह करीब 10 बजे जवान की शव यात्रा निकाली गई। यह घर से निकलकर ढोढरी टोली स्थित घाट पर पहुंची।
जहां सेना के जवानों ने मातमी धुन के साथ उन्हें सलामी दी। इसके बाद पार्थिव शरीर में लिपटे तिरंगे को सम्मान पूर्वक समेट कर शहीद की पत्नी के हवाले किया गया। सम्मान के साथ सेना के जवानों व ग्रामीणों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। बड़े बेटा अनिल कच्छप ने मुखाग्नि दी सेना के जवानों ने तीन चक्र फायरिंग कर अंतिम सलामी दी। फगुआ उरांव सेवा के 150 डीएससी 5 विंग में पदस्थापित रहे।
नहीं पहुंचा कोई प्रशासनिक अधिकारी
शहीद जवान फगुआ उरांव को विदाई देने कोई प्रशासनिक अथवा पुलिस अधिकारी नहीं पहुंचा। पीड़ित परिवार व स्थानीय लोगों ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। शहीद जवान का पार्थिव शरीर लेकर पहुंचे मेजर आशीष सिंह से इस बावत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जिले के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई थी।
होली पर आए थे घर
शहीद फगुआ उरांव का पैतृक आवास सिसई प्रखंड क्षेत्र के झटनी टोली गांव है। फगुआ उरांव पिछले 15 वर्षों से परिवार के साथ ढोढरी टोली में मकान बना कर रह रहे थे। शहीद की पत्नी शांति मिंज और तीन बेटे अनिल कच्छप, सुनील कच्छप व नितेश कच्छप साथ में रहते हैं। साथ ही तीनों बेटे शहर के कॉलेज व प्लस टू में पढ़ाई करते है। बड़ा बेटा अनिल कच्छप ने बताया कि पिता अंतिम बार होली की छुट्टी में घर आए थे। साथ ही वापस जाने के समय फिर इसी माह 12 नवंबर वापस आने की बात कहकर गए थे। कुदरत को कुछ और ही मंजूर था।
घर आने के लिए पिता ने 6 नवंबर को अपने बटालियन से छुट्टी के लिए आवेदन दिया था। आवेदन देने के दूसरे ही दिन 7 नवंबर को वे बीमार पड़ गए।इसके बाद बटालियन द्वारा इसकी सूचना परिजनों को दी गई।उन्हें इलाज के लिए कोलकाता ले जाया गया।इसके बाद परिजन भी 7 नवंवर को ही उनका हाल चाल लेने कोलकाता पहुंचे थे।जहां उनकी स्थिति में सुधार हो रहा थी। बड़ा बेटा कोलकत्ता में ही रुक गया था।जबकि परिवार के अन्य लोग वापस लौट आए थे।इलाज के दौरान ही 26 नवंबर को अचानक हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई।
मृदुभाषी व मिलनसार था स्वभाव
सेना के वाहन में पार्थिव शरीर साथ लेकर पहुंचे मेजर आशीष सिंह ने बताया कि फगुआ उरांव 150 डीएससी 5 विंग खड़गपुर में पदस्थापित थे। ड्यूटी के दौरान पहले वे बीमार पड़ गए।इसके बाद उन्हें इलाज के लिए कोलकाता स्थित सैनिक अस्पताल में भर्ती किया गया।इस दौरान गत 26 नवंबर को देर शाम इलाज के दौरान हृदय गति थमने से उनकी मौत हो गई।मेजर ने कहा कि फगुआ काफी मृदुभाषी व मिलनसार व्यक्ति थे।उनके शहीद होने पर साथी भी दुःखी और मर्माहत है।मेजर ने बताया कि वर्ष 2022 के जनवरी माह में शहीद जवान रिटायर होने वाले थे।
देश के लिए जीवन समर्पित
पत्नी शांति मिंज ने बताया कि शहीद जवान फगुआ उरांव ने अपना संपूर्ण जीवन देश सेवा में समर्पित कर दिया। महज 20 साल की उम्र में उन्होंने पहले आर्मी ज्वाइन की।इसके बाद 40 वर्षों तक अनवरत भारत माता की रक्षा के लिए हर एक कुर्बानी दी। फिर वर्ष 2000 में आर्मी से रिटायर होने के बाद महज एक साल परिवार के बीच रहे। इसके बाद फिर वर्ष 2001 में 150 डीएससी 5 विंग में बहाल किए गए।इस दौरान भी 20 वर्षों तक देश की सेवा की।