JoharLive Desk

नई दिल्ली : देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी जल्द ही निजी हाथों में चली जाएगी। केंद्र सरकार भारत पेट्रोलियम कॉर्रपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अपनी 53 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी को बेचने जा रही है। इसके लिए सरकार की तरफ से सारी तैयारियों को पूरा कर लिया गया है। नवंबर के पहले हफ्ते में सरकार निविदा निकालेगी, जिसके बाद प्रोसेस शुरू हो जाएगा।
55 हजार करोड़ की है बीपीसीएल
बीपीसीएल की नेटवर्थ फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये है। अपनी पूरी 53.3 फीसदी बेचकर के सरकार का लक्ष्य 65 हजार करोड़ रुपये की उगाही करने का है। इसके लिए ससंद से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। पिछले साल सरकार ने ओएनजीसी पर एचपीसीएल के अधिग्रहण के लिए दबाव डाला था। इसके बाद संकट में फंसे आईडीबीआई बैंक के लिए निवेशक नहीं मिलने पर सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में एलआईसी को बैंक का अधिग्रहण करने को कहा था। सरकार विनिवेश प्रक्रिया के तहत संसाधन जुटाने के लिये एक्सचेंज ट्रेडिड फंड (ईटीएफ) का भी सहारा लेती आई है।
अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट ने पूर्व में पीएसयू कंपनियों में कम से कम 51 फीसदी हिस्सेदारी रखने का फैसला किया था और अब कैबिनेट को ही हिस्सेदारी इस स्तर से नीचे ले जाने पर फैसला करना होगा। उन्होंने कहा, ‘सरकार चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों (सीपीएसई) में हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम करने का प्रस्ताव/योजना तैयार कर रही है।’ अधिकारी ने कहा कि यह संभव है, लेकिन इसके लिए कंपनी कानून की धारा 241 में संशोधन की जरूरत होगी।
पवन हंस के विनिवेश में देरी
सरकार पवन हंस के विनिवेश के लिए आवेदन (ईओआई) जमा करने की समयसीमा तीसरी बार बढ़ाकर 10 अक्तूबर कर दी है। ईओआई जमा करने की समयसीमा गुरुवार को ही खत्म हो गई सरकार हेलिकॉप्टर कंपनी को बेचने की योजना बना रही है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी नोटिस के मुताबिक, पवन हंस के रणनीतिक विनिवेश की समयसीमा बढ़ाकर 10 अक्तूबर कर दी गई है।

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