Joharlive Team
- छोटी बहन आकांक्षा ने दी अपनी ही बड़ी बहन को मुखाग्नि
- रिम्स में इलाज के दौरान लापरवाही में गयी नाबालिक युवती की जान : अंजना
रांची : रांची के स्वर्णरेखा नदी तट पर सुबह 8 बजे से एक नाबालिक युवती सजनी कुमारी की लाश रखी हुई थी। उसके आसपास दो महिला, दो युवती और एक व्यक्ति थे। सभी लाश को टक-टक देख रहे थे। जिसमें एक महिला मृतक की मां और मौसी थी। और दो युवती एक बड़ी बहन और एक छोटी बहन थी और एक मौसा था। जिनके पास दाह- संस्कार के लिए एक फूटी कौड़ी नही थी, वह एक चमत्कार का इंतिजार कर रहे थे। ताकि वह अपनी बेटी का दाह संस्कार कर सके। और देखते ही देखते चमत्कार भी हो गया। घाट में बैठे कुछ लड़के आए उन्होनें लाश लेकर घन्टो बैठा देख परिवार से पूछा क्या हुआ है। जिसके बाद मृतक रजनी के मां अंजना गुप्ता ने बताया कि बुधवार को अचानक उसकी बेटी सजनी कुमारी की तबीयत बिगड़ गयी। उसे हल्की बुखार थी और उल्टी हो रही थी। जिसे आनन-फानन में जैसे-तैसे सदर अस्पताल ले गए जहां से डॉक्टरों ने फिर बेहतर इलाज के लिए सजनी को रिम्स रेफर कर दिया। जहाँ इलाज के दौरान सजनी की गुरुवार रात 3 बजे उसकी मौत हो गयी। उसके बाद सजनी को बड़ी मुश्किल से स्वर्णरेखा घाट लेकर आए। लेकिन उसके पास दाह संस्कार के पैसे तक नही थी। तभी घाट पर मौजूद युवकों ने इंसानियत दिखाते हुए दाह संस्कार के पैसे इक्कठा किया और सजनी का दाह संस्कार किया जा सका। उसे उसकी ही सगी छोटी बहन आकांक्षा ने रोते-रोते मुखाग्नि दी। जिसके बाद सजनी का दाह संस्कार किया जा सका। सजनी की मां रेजा का काम कर अपने परिवार का भरन-पोषण करती है। उसके पति घर पर बीमार है। परिवार की माली हालत बहुत खराब है। वहीं सजनी की मां अंजना गुप्ता ने बताया कि मेरी बेटी की जान रिम्स में डॉक्टरों द्वारा इलाज में लापरवाही के कारण गयी है। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने जैसे-तैसे मेरी बेटी का इलाज किया। अगर बेहतर इलाज मिल पाता तो उसकी जान बच सकती थीं। वहीं मृतक परिवार के पास राशन कार्ड तो है पर वह बिहार में है। फ़िलहाल पूरा परिवार चुटिया द्वरिकापुरी रोड नम्बर 4 में एक किराये की मकान में रहता है। वहीं मृतक की मां अंजना ने बताया कि उसकी तीन बेटी और एक बेटा है। जिसमें बड़ी बेटी रजनी कुमारी, मृतक सजनी कुमारी, आकांक्षा कुमारी और एक बेटा मणिकांत कुमार है। मणिकांत काफी छोटा है।
सरकारी सहायता की उम्मीद
मृतक की मां अंजना ने बताया कि हम काफी मजबूरी में जिंदगी जी रहे है। भैया लोगों की मदद से बेटी की जीता जैसे-तैसे जल गई। मगर दाह संस्कार के बाद अपनी बेटी के क्रियाकर्म के करना चाहती है। उन्हें सरकारी मदद की उम्मीद है।
आयुष्मान योजना के लाभ से कोशो दूर है पीड़ित परिवार
वहीं सरकार द्वारा आयुष्मान गोल्डन कार्ड के लिए कई कदम सरकार की ओर से उठाए जा रहे है और इस पीड़ित परिवार को आयुष्मान कार्ड की जानकारी तक नही है। उम्मीद है कि सरकार की हिमायती पीड़ित परिवार तक पहुचं जाए। ताकि अंजना के पति का इलाज आयुष्मान कार्ड से हो सके। साथ ही दोबारा किसी सजनी की जान न जाए।
लघुशंका करने आए तो देखा एक परिवार लाश लेकर घन्टो से बैठा पड़ा है
वहीं घाट पर बैठे युवक विश्वकर्मा कुमार ने बताया कि घाट पर दोस्तो के साथ छावं में बैठे हुए थे। लघुशंका करने के लिए थोड़ी दूर निकले तो देखा कुछ लोग एक लाश लेकर काफी देर से बैठे हुए थे। उनसे पूछने पर बताया कि उनके पास पैसा नही है और उनकी बेटी का वह दाह संस्कार करना चाहते है, उसके बाद विश्वकर्मा ने अपने दोस्तों से मदद मांगी और लगभग 3 हजार रुपये जुगाड़ कर मृतक का दाह संस्कार किया। विश्वकर्मा ने बताया कि अजीत सिंह, अमर सिंह, रमेश शर्मा, रोहित कुमार, सिकंदर राम, राहुल राणा, वीरू राम, तरुण, अरुण समेत कई लोगो से मदद मांगकर पैसे जुगाड़ करना पड़ा।