दुमका. विभागीय फेरे में आरक्षी सरोज बिरहोर के अजन्मे बच्चे की मौत गर्भ में हो गई. पहाड़िया बटालियन रांची में तैनात सरोज का तबादला विभाग ने पहले सिमडेगा कर दिया गया था. वहां जाने में असमर्थता जताने पर उसकी कमान दुमका के लिए काट दी गई. रांची से दुमका की भाग-दौड़ में उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण पर असर पड़ा. तबीयत खराब होने पर उसे दुमका के कौशल्या नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. वहां डॉक्टरों ने 17 अप्रैल को ऑपरेशन कर उसके गर्भ से मृत बच्चे को निकाला. सरोज की शादी करीब डेढ़ साल पहले सूरज देवगम के साथ हुई थी. सूरज देवगम राउलकेला में सिविल इंजीनियर हैं.
आरक्षी सरोज के मुताबिक, वह रांची में पहाड़िया बटालियन में तैनात थीं. 3 महीने का एक बच्चा पहले भी खराब हो चुका है. दूसरी बार गर्भवती होने पर उन्होंने रांची में ही स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाया. डॉक्टर ने आराम की सलाह के साथ सफर न करने की कड़ी हिदायत भी दी थी. इसी बीच उनका तबादला रांची से सिमडेगा कर दिया गया. बकौल सरोज, उन्होंने तबादला न करने का काफी आग्रह किया, पर अधिकारियों ने उनकी न सुनी. तब उन्होंने बच्चे के लिए सिमडेगा जाने से साफ मना कर दिया. इस पर उनके अधिकारियों ने उनके खिलाफ रिपोर्ट बनाकर वरीय पदाधिकारी को भेज दी. इससे वे काफी डर गई थीं. इसी बीच उनकी कमान रांची से दुमका के लिए काट दी गई. तब सरोज को 7 माह का गर्भ लिए मजबूरन दुमका आना पड़ा. इस भाग-दौड़ में उनके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई. सरोज ने कहा कि अगर विभागीय अधिकारियों का सहयोग मिलता तो आज मेरी गोद सूनी नहीं होती.
सरोज ने बताया कि ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने विभाग के अधिकारियों को डॉक्टर की जांच रिपोर्ट दिखाई. पूरी स्थिति से अवगत कराया. लेकिन उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया. उल्टे उन्हें भगोड़ा और बदचलन करार देकर रिपोर्ट आगे बढ़ा दी. काम में लापरवाही का आरोप लगाकर सैलरी भी रोक दी गई. सरोज के पति सूरज देवगम राउरकेला से दुमका पहुंचे हुए हैं. 20 अप्रैल को उनकी शादी की सालगिरह है. लेकिन बच्चे के चले जाने से खुशी गम में बदल गई. सरोज ने वरीय अधिकारियों से इंसाफ की मांग की है. सरोज का कहना है कि हर विभाग में महिलाओं को मातृत्व अवकाश दिया जाता है. ऐसे में यह जांच का विषय है कि 7 माह की गर्भवती इस आदिम जनजाति महिला को अवकाश क्यों नहीं दिया गया.
दुमका के एसपी अंबर लकड़ा एसआईआरबी दुमका समादेष्टा के प्रभार में हैं. इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरोज जब दुमका आई थीं, उसके बाद वे ठीक हो गई थीं. कुछ दिन पहले जब उन्हें तकलीफ हुई, तो एसआईआरबी की ओर से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. हमारी ओर से कहीं कोताही नहीं बरती गई है.