Joharlive Team
- गठजोड़ कि सरकार के पास भी विजन की कमी।
रांची : स्पष्ट बहुमत हासिल कर महागठबंधन की तीन पार्टियां झारखंड में सरकार बनाने जा रही है अगले 5 साल झारखंड किस राह पर चलेगा यह झामुमो कांग्रेस राजद के नेताओं द्वारा तय किया जाएगा इस लिहाज से तीनों पार्टियों का इतिहास और वर्तमान नेतृत्व पर बात करना जरूरी हो जाता है। झारखंड में सरकार बना रही तीनों पार्टियां देश में परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण हैं।
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में परिवारवाद अपने चरम पर है। देश के आजादी के बाद से अभी तक गांधी परिवार के अलावा किसी और ने कांग्रेस की बागडोर नहीं संभाली है। झारखंड की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी झामुमो भी परिवारवाद से बाहर नहीं निकल पाई है। दूसरी ओर राजद भी परिवारवाद का ही एक उदाहरण है, जहां लालू यादव के बेटों को छोड़कर किसी और नेता को आगे बढ़ने नहीं दिया गया। यही वजह है कि कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि कांग्रेस, झमुमो और राजद में दूसरे और तीसरे स्तर के नेताओं को जानबूझकर उभरने नहीं दिया जाता है। झारखंड सरकार का नेतृत्व कर रही गठबंधन की तीनों पार्टियों का स्वार्थ झारखंड को किस दिशा में लेकर जाएगा यह सवाल महत्वपूर्ण है।
तीनों पार्टियों पर लगते रहे हैं भ्रष्टाचार के आरोप –
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगते आए हैं। कम दाम में जमीन खरीदने और प्रॉपर्टी संबंधित कई मुद्दे विभिन्न समय पर उठाए गए हैं। कांग्रेस भी भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त नहीं है। राजद सुप्रीमो लालू यादव चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता है। तीनों पार्टियां भ्रष्टाचार को लेकर साफ छवि नहीं रखती हैं झारखंड के लोगों के लिए यह एक चिंता का विषय है।