रांची: राज्यभर के डॉक्टर 20 अगस्त से बायोमीट्रिक अटेंडेंस का बहिष्कार कर रहे है. डॉक्टरों का कहना है कि वे इस आदेश का बहिष्कार तबतक जारी रखेंगे जबतक कि सभी सरकारी अधिकारी व कर्मियों के लिए बायोमीट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य नहीं होगा. इतना ही नहीं डॉक्टरों का यह भी कहना है कि जिस तरह से सरकार ने पुलिस को इमरजेंसी सर्विस में रखते हुए उन्हें बायोमीट्रिक अटेंडेंस से छूट दे रखी है उसी तरह डॉक्टर भी इमरजेंसी सर्विस में आते है. इसलिए उन्हें भी बायोमीट्रिक अटेंडेंस से छूट देनी चाहिए.
शिफ्ट में ड्यूटी से बड़ी परेशानी
आईएमए रांची के सचिव डॉ प्रदीप सिंह का कहना है कि बायोमीट्रिक अटेंडेंस से परेशानी नहीं है. बल्कि इस सिस्टम को व्यवस्थित करने की जरूरत है. चूंकि सरकारी हॉस्पिटलों में डॉक्टरों की ड्यूटी में एक समय में नहीं होती. शिफ्ट में डॉक्टर ड्यूटी करते है. कुछ डॉक्टरों की ड्यूटी नाइट शिफ्ट में होती है. ऐसे में वह सुबह आकर बायोमीट्रिक अटेंडेंस कैसे बनाएगा. इसके अलावा डॉक्टरों की इमरजेंसी ड्यूटी होती है. कभी भी उन्हें हॉस्पिटल में बुला लिया जाता है. ऐसी स्थिति में वे बायोमीट्रिक अटेंडेंस कैसे बना पाएगा.
पुलिस की तरह चाहते है छूट
डॉक्टरों का कहना है कि पुलिस को सरकार ने इमरजेंसी सर्विस मानते हुए उन्हें बायोमीट्रिक अटेंडेंस से छूट दे रखी है. उनकी ड्यूटी 24 घंटे होती है. डॉक्टर भी 24 घंटे ड्यूटी करते है. हेल्थ सर्विस भी इमरजेंसी सेवा में है. इसलिए डॉक्टरों को भी इससे छूट दिया जाए. जिससे कि वे बिना किसी परेशानी के काम कर सके. बता दें कि सरकार ने संयुक्त रूप से एक आदेश जारी किया है. जिसके तहत सरकारी कर्मियों के लिए बायोमीट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया है. हर दिन अपने कार्यस्थल पर उन्हें सुबह शाम अटेंडेंस बनाने का आदेश दिया गया है. जिसमें डॉक्टरों को भी शामिल किया गया है.