लोहरदगा: ज़िले के किस्को वन क्षेत्र के कुछ गांवों में बाघ का आतंक इस तरह फैल गया है कि ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. पखार पंचायत के तीसया और उसके आस पास के सलैया व मंडुआ पाट जैसे गांवों में बाघ ग्रामीणों के बैलों समेत आधे दर्जन जानवरों को अपना शिकार बना चुका है. पलामू टाइगर एक्सपर्ट टीम ने यहां आकर जो जांच की, उसमें बाघिन की मौजूदगी के प्रमाण मिले. वहीं कुछ ग्रामीणों ने दावा किया है कि उन्होंने बाघ को अपनी आंखों से देखा.
जंगलों में बाघिन की उपस्थिति की जानकारी सामने आने के बाद से ही आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है. बाघिन की मौजूदगी 21 मई को चर्चा में तब आई थी, जब सलैया पंचायत के बड़का मडुवापाट निवासी इदरीश नगेसिया के तीन बैल शिकार हो गए थे. नगेसिया ने बाघ को देखने का दावा करते हुए बताया कि जंगल में बारिश के वक्त मवेशी भटक गए थे और बाघिन के शिकार बन गए. दो और ग्रामीणों के पशुओं को बाघिन ने मारा, जिसके बाद 4 से 6 जुलाई के बीच फिर से क्षत्रो में दहशत फैल गई है.
ग्रामीणों से मिली सूचना और वनकर्मियों की रिपोर्ट पर विभाग ने जांच करवाई तो पलामू टाइगर रिज़र्व की टीम ने पैरों के निशानों से पुष्टि की. जंगल के कई संभावित इलाकों में पीटीआर की टीम द्वारा 5 कैमरा लगाए गए हैं. हालांकि बाघिन ने किसी इंसान पर अब तक हमला नहीं किया है, फिर भी ग्रामीण डरे सहमे हैं और जंगलों में निकलते हुए काफी एहतियात बरत रहे हैं. वहीं लोहरदगा वन विभाग के डीएफओ अरविंद कुमार ने बताया कि यह बाघिन रिज़र्व से जंगल के रास्ते लोहरदगा के किस्को जंगल में प्रवेश कर गई है. ‘हमारी टीम लगातार नज़र रखे हुए है और अनावश्यक तौर पर जंगल की तरफ जाने से लोगों को मना किया गया है.