Joharlive Desk
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव इस साल होने वाले हैं और इसे लेकर राज्य में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है. विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच सीधी टक्कर है। गृह मंत्री अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में एनडीए बिहार में चुनाव लड़ेगी तो अब महागठबंधन भी तेजस्वी के नाम पर नरम पड़ रही है। इन सबके बीच सभी पार्टी और नेता चुनावी मोड में आ गए हैं।
सुपर एक्टिव तेजस्वी
लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के बुरे प्रदर्शन के बाद तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में सुपर एक्टिव मोड में आ गए हैं। वो लगातार बैठकें कर रहे हैं और किसी भी मुद्दे को उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण, कोरोना जांच और बिहार में बाढ़ को लेकर तेजस्वी यादव लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर हैं। यहां तक कि बीजेपी के वर्चुअल रैली का भी उन्होंने गरीब अधिकार दिवस के रूप में करारा जवाब दिया था।
पहली बार अपने दम पर चुनाव
तेजस्वी यादव 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से राजनीति में कदम रखा। तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव जीता और आते ही वो लालू यादव के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने लगे। उन्हें मीडिया में और लोगों के बीच पहचान बनाने अधिक समय नहीं लगा। राजनीति से पहले भी तेजस्वी अपने क्रिकेट करियर को लेकर लगातार चर्चा में रहते थे लेकिन आखिरकार वो बिहार की राजनीति में आए और उपमुख्यमंत्री भी बने। हालांकि, जेडीयू-आरजेडी गठबंधन अधिक दिन नहीं चला और तेजस्वी नेता प्रतिपक्ष बन गए।
पार्टी में बने लालू के रिप्लेसमेंट
लालू यादव के चारा घोटाला में जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव ने आरजेडी की कमान संभाली। आरजेडी ने उन्हें लालू यादव के विकल्प के रूप में स्वीकार किया तो धीरे-धीरे तेजस्वी भी 80 विधायकों की पार्टी आरजेडी का नेतृत्व करने में सफल साबित हुए। आज की तारीख में नीतीश कुमार के बाद तेजस्वी बिहार के सबसे पॉपुलर नेता के रूप में नजर आते हैं।
कभी नरम कभी गरम
तेजस्वी यादव धीरे-धीरे अपनी राजनीति करने की कला को भी निखार रहे हैं। कभी वो आक्रामक नजर आते हैं तो नरम पड़ जाते हैं। कुछ दिनों पहले वो लालू यादव के कार्यकाल में हुई गलतियों के लिए माफी मांगते नजर आए तो कोरोना जांच को लेकर तेजस्वी लगातार आक्रामक रूप से सत्ताधारी दल पर निशाना साध रहे हैं।
जीते तो ताज…
इस बात की प्रबल संभावना है कि महागठबंधन अगर विधानसभा चुनाव जीतती है तेजस्वी यादव ही विधायक दल के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे। बिहार को 15 सालों के बाद सीएम के रूप में एक नया चेहरा मिलेगा लेकिन फिलहाल यह कहना गलत नहीं होगा कि विधानसभा चुनाव में कुछ समय बाकी है और अभी एनडीए और महागठबंधन दोनों में कांटे की टक्कर नजर आ रही है।
बिहार को मिलेगा विकल्प
महागठबंधन अगर विधानसभा चुनाव जीतती है तो बिहार को लंबे अरसे बाद एक नया विकल्प मिलेगा। यंग लीडर के रूप में बिहार के मतदाताओं को तेजस्वी आकर्षित कर सकते हैं लेकिन उनका मुकाबला देश के कद्दावर नेता नीतीश कुमार से होगा जो राजनीति के मंझे हुए और महीन खिलाड़ी माने जाते हैं। उनकी जगह लेने का अर्थ बिहार को एक नया विकल्प मिलना होगा।
हारे तो करनी होगी जीरो से शुरुआत
लेकिन अगर बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए जीतती है तो लोकसभा चुनाव के बाद तेजस्वी के नेतृत्व में आरजेडी और गठबंधन की ये दूसरी हार होगी। इसके बाद तेजस्वी को बिहार में वापस जीरो से शुरुआत करनी होगी।
दांव पर भविष्य
तेजस्वी यादव भले ही राजनीति में इन दिनों सुपर एक्टिव हैं लेकिन उनका राजनीतिक भविष्य फिलहाल बिहार विधानसभा चुनाव पर निर्भर है।