पटना : बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखकर उन्हें कई मुद्दों पर चुनौती दी है. कहा है प्रधानमंत्री जी जरा समय निकाल जातिगत जनगणना, आरक्षण, मंडल कमीशन और संविधान पर अवश्य ही अपना ज्ञानवर्धन कर लीजिएगा. तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनावी मौसम में ही आप बिहार आते हैं कल आप फिर बिहार आए और एक बार फिर आपने सभी लोगों को भ्रमित करने की असफल कोशिश की. आपको याद होगा कि बिहार से हम सब अगस्त 2021 में आपके पास जातिगत जनगणना की मांग को लेकर आए थे और नीतीश कुमार की जदयू समेत और भी दल मेरी इस मांग के पक्ष में थे. जातिगत जनगणना का प्रस्ताव मेरी ही पहल पर सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा में पास कराया गया. हम सभी ने मिलकर आपसे जातिगत जनगणना की मांग की थी लेकिन आपने एकदम हमारी यह मांग ठुकरा दी थी. हम सबको आपकी संवेदनशून्यता से पीड़ा हुई लेकिन क्या ही कहें.

75 प्रतिशत आरक्षण करने पर आपने कोई विचार नहीं किया

तेजस्वी ने लिखा कि जब हम बिहार में सरकार में आए तो हमने राज्य के खर्चे पर जातिगत सर्वेक्षण कराया. उसकी हकीकत से आपको भी अवगत कराया गया. हमने उस सर्वेक्षण के आलोक में आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत तक बढ़ाया और आपसे बार-बार गुजारिश करते रहे. हाथ जोड़कर मांग करते रहे कि इसको संविधान की नौंवी अनुसूची में डालिये, लेकिन, प्रधानमंत्री जी, मूलतः आप पिछड़ा और दलित विरोधी मानसिकता के हैं. आपने हमारी इस महत्वपूर्ण आग्रह पर आपने कोई विचार नहीं किया.

क्या प्रधानमंत्री की भाषा ऐसी होनी चाहिए

तेजस्वी यादव ने लिख आप बिहार आये और यहां आ कर के जितनी आधारहीन, तथ्यहीन  और झूठी बातें कर सकते थे, आपने की. अब आपसे अपेक्षा नहीं है कि आप अपने पद की गरिमा का ख़्याल रख विमर्श को ऊंचा रखेंगे, लेकिन आज आप भैंस, मंगलसूत्र के रास्ते होते हुए ‘मुजरा’ तक की शब्दावली पर आ गए. सच कहूं तो हमें आपकी चिंता होती है. क्या इस विशाल हृदय वाले देश के प्रधानमंत्री कि भाषा ऐसी होनी चाहिए? आप सोचिए और निर्णय कीजिए मुझे और कुछ नहीं कहना है.

आरक्षण खत्म करने का नायाब तरीका ढूंढा है

नेता प्रतिपक्ष ने आरक्षण पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीएम मोदी ने बाबा साहेब का आरक्षण खत्म करने का एक नायाब तरीका ढूंढा है. क्योंकि संविधान की धारा 15 और धारा 16 के तहत आरक्षण सरकारी नौकरियों में मिलता है. आपने रेलवे, सेना और अन्य विभागों से सरकारी नौकरियां ही खत्म कर दीं, तो फिर आरक्षण की अवधारणा कहां जाएगी, लेकिन ये गंभीर चिंता आपकी प्राथमिकताओं में है ही नहीं. हम तो आप से कई बार आग्रह कर चुके हैं कि संसद में, सड़क पर, सदन में, कि आप प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की व्यवस्था करिए ताकि एक व्यापक बहुजन आबादी दलित समुदाय और अन्य वंचित समूहों को उनको उनका वाजिब संवैधानिक हक मिले.

भ्रम फैलाने और नफरत परोसने से परहेज करिए

तेजस्वी ने लिखा कि आपसे कितनी बातें कहूं ? बस इतना कह सकता हूं कि बस अब चुनाव का एक ही चरण बचा है. हमारी जो भी मांग है आरक्षण को लेकर , संविधान को लेकर और आर्थिक सामाजिक न्याय के संदर्भ में उन सब पर ग़ौर फरमाइए. सीधे तौर पर आकर कहिए कि आप अपने प्रेरणा स्रोत गुरुजी गोलवलकर की “बंच ऑफ़ थॉटस” किताब से सहमत नहीं है. क्या आप कह पायेंगे? यह भी कह दीजिये की आप पिछड़े, अत्यंत पिछड़े, दलित, तमाम वर्गों को उनका समुचित आरक्षण प्राइवेट सेक्टर में भी देने की मांग से सहमत हैं. अगर आपसे यह सब नहीं कहते बन रहा है, तो जनता समझ लेगी कि आपकी चुनावी भाषणों का गिरता पैमाना ही आपकी राजनैतिक सोच का सही प्रतिबिम्ब है.

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