रांची: इंडियन सोसायटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी द्वारा डोरंडा के शौर्य सभागार में दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हो गई. कॉन्फ्रेंस में झारखंड के अलावा दूसरे राज्यों से पेट व लीवर के सैकड़ों स्पेशलिस्ट भाग ले रहे है. पहले दिन 20 से ज्यादा टॉपिक पर विभिन्न बीमारियों को लेकर डॉक्टरों ने अपने प्रेजेंटेशन दिए. हर प्रेजेंटेशन के बाद पैनल डिस्कशन भी हुआ. जिसमें ये बातें सामने आई कि खुद से दवा लेना और लाइफस्टाइल में बदलाव हमारे लिए कितना घातक साबित हो रहा है. गैस समझकर जिसे हम इग्नोर कर रहे है उसकी वजह से हमें गंभीर बीमारियां चपेट में ले रही है. इतना ही नहीं लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण ज्यादातर लोग फैटी लीवर की समस्या से जूझ रहे है.

गंभीर बीमारी की दस्तक
पेट में दर्द की समस्या लेकर आते है. वहीं पेट फुला हुआ रहता है. इसके अलावा मरीज कंफर्टेबल फील नहीं करते है. वहीं वजन बढ़ने की भी शिकायत लेकर मरीज आ रहे है. ये फैटी लीवर के साइन है. जिसकी वजह से डायबिटीज, बीपी, हार्ट की समस्या और किडनी की समस्या हो सकती है. बढ़ा हुआ वजन भी एक बीमारी है. कई लोगों का शरीर ठीक होता है लेकिन उनका पेट बढ़ा हुआ होता है. यह और ज्यादा खतरनाक है. इसलिए प्रापर डाइट लेना और खाने के बाद वाक जरूरी है. इसके अलावा लाइफस्टाइल में बदलाव से इन बीमारियों से दूर रह सकते है. ये बातें गैस्ट्रो एक्सपर्ट डॉ संजीव कुमार झा ने कही. साथ ही कहा कि गैस की समस्या सोचकर लोग खुद से दवा ले लेते है. लेकिन ये समस्या ज्यादा दिन रहने से गंभीर बीमारी दस्तक दे सकती है. ऐसी स्थिति में इलाज करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.

डॉ संजीव झा

वेस्टर्न लाइफस्टाइल ने बढ़ाई परेशानी
लाइफस्टाइल में जो परिवर्तन आया है. हमारा जीन इंडियन है लेकिन हमलोगों ने लाइफस्टाइल वेस्टर्न अपना लिया है. हमारा खाना भी जंक फूड हो गया है. फोन किया और जंक फूड हाजिर. इससे हम ज्यादा कैलोरी ले रहे है. उसे बर्न नहीं कर पा रहे है. जो हमारे शरीर में जम जा रहा है. ये सबसे ज्यादा लीवर में जम रहा है. इस वजह से फैटी लीवर की समस्या हो रही है. गैस्ट्रो एक्सपर्ट डॉ जयंत घोष ने कहा कि पहले हम स्कूल साइकिल से या पैदल जाते थे. हमारे शरीर का कैलोरी बर्न होता था. लेकिन अब बच्चे बस से या गाड़ियों से जाते है. खेलने की बजाय फोन से चिपके रहते है. लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर इस समस्या से बचाव कर सकते है.

डॉ जयंत घोष
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