रांची : समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक शशि प्रकाश झा ने पोषण माह की जानकारी देते हुए कहा कि हर साल की तरह इस वर्ष भी पोषण माह का आयोजन पूरे प्रदेश में प्रखंड स्तर तक किया जा रहा है. जिसका थीम सुपोषित झारखंड, साक्षर झारखंण्ड और सशक्त झारखण्ड है. हमने भगवान बिरसा मुंडा के पवित्र गांव से इस मिशन की शुरूआत की है. वह आज प्रोजेक्ट बिल्डिंग स्थित प्रथम के तल के नये सभागार में प्रेस मीडिया को पोषण माह की जानकारी दे रहे थे. उन्होंने कहा कि लक्षित लाभार्थियों का पोषण सुधारने के लिये हमारे यहां टीएचआर यानी कि टेक होम राशन में उचित पोषण सुनिश्चित किया गया है. हम हर महीने 38432 आंगनबाड़ी केन्द्रों द्वारा 34 लाख से अधिक लाभार्थियों को टीएचआर के तहत सेवा प्रदान कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पोषण माह के दौरान हर गोदाम की निगरानी पोषण ट्रैकर में सभी लाभार्थियों की डिजिटल डेटा एंट्री भी सुनिश्चित की गयी है. जिससे कि हम वास्तविक समय में निगरानी कर सकें और जान सकें कि किन लोगों को टीएचआर दिया गया है. कुछ इसी तरह से सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी हर दिन 3-6 साल के बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन और नास्ता का वितरण भी कराया गया है. विभाग की ओर से बच्चों की नियमित निगरानी के साथ साथ गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 0-6 वर्ष के बच्चों को सभी आवश्यक सेवाएं प्रदान की जा रही हैं.
निदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य भर में पोषण माह के दौरान कई अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है. अब तक राज्यभर में 6.76 लाख से अधिक गतिविधियां की जा चुकी हैं. सेविका, हेल्पर, सभी सीडीपीओ, आब्जर्वर, डीएसडब्ल्यूओ, यूनिसेफ, अन्य विभागों से लेकर विभिन्न चुनौतियों के बावजूद सभी 224 परियोजनाओं से प्रत्येक सेविका और सहायिका को बेहतर प्रदर्शन के लिये नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा. निदेशक ने मिलेट्स के खाद्य पदार्थों को भी शामिल करने की बात कही जिससे कि पोषाहार को ज्यादा बल मिल सके.
झारखण्ड राज्य खाद्य सुरक्षा योजनान्तर्गत लाभुकों की प्राथमिकता सूची तैयार की गयी है. जिसमें अति विशिष्ट पिछड़ी जाति, विधवा, परित्यक्ता, ट्रांसजेंडर, 40 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांगता वाले व्यक्ति, कैंसर, एड्स, कुष्ठ या अन्य असाध्य रोग से ग्रसित व्यक्ति के लिये स्कूलों में मध्याह्न भोजन, खाद्य सुरक्षा अधिनियम राशन कार्ड की सेवाएं प्रदान की गयी हैं. वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं सहित 6 माह से 3 वर्ष या 6 वर्ष के बच्चों को पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है. योजनाओं में पंचायत की भूमिका को पूरी तरह से सक्रिय किया गया है. व्यापक प्रचार प्रसार किया गया जा रहा है. साथ ही जिला वेबसाइट पर भी इसका प्रकाशन सुनिश्चित किया गया है.
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