नई दिल्ली : अडानी-हिंडनबर्ग मामले में कोर्ट ने ‘सुप्रीम’ फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, इस मामले में अदानी ग्रुप को बड़ी राहत मिली है. सेबी की जांच रिपोर्ट में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. इस मामले को SIT के पास भेजने से मना कर दिया है. 3 जजों की बेंच ने कहा कि SEBI यानी कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की जांच उचित है और वह इस मामले की जांच के लिए सक्षम एजेंसी है. मार्केट रेग्यूलेटर ने अडानी हिंडनबर्ग मामले में 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है और अभी भी 2 मामलों की जांच बची है. सुप्रीम कोर्ट ने बाकी बचे दोनों मामलों की जांच पूरी करने के लिए सेबी को तीन महीने की मोहलत दी गई है.
Adani-Hindenburg: The Supreme Court says the power of this court to enter the regulatory framework of SEBI is limited pic.twitter.com/923aAVfVjG
— ANI (@ANI) January 3, 2024
बता दें कि याचिकाकर्त्ता ने इसकी मांग की थी. OCCPR की रिपोर्ट के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता. इसका मतलब ये हुआ कि SEBI ही जांच करेगा. कोर्ट ने ये भी कहा कि थर्ड पार्टी रिपोर्ट के आरोपों को सबूत नहीं माना जा सकता कोर्ट ने SEBI के बजाए SIT को जांच सौंपने से इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि न्यूज़ पेपर के आर्टिकल और न्यूज़ रिपोर्ट को सेबी इन्वेस्टीगेट कर सकती है लेकिन एविडेंस नहीं मान सकती.
इससे पहले बीते 24 नवंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने मार्केट रेग्यूलेटर सेबी की जांच और एक्सपर्ट्स कमेटी पर उठाए जा रहे सवालों को नकारते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा था. गौलतलब है कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म ने साल 2023 में जनवरी के ही महीने में अडानी ग्रुप को लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसमें अडानी की कंपनी के शेयर ओवरवैल्यूएड होने और कीमतों में हेरफेर समेत समूह पर कर्ज को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए थे.
एसआईटी के गठन को लेकर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हम सेबी को दिए गए समय में अपनी पूरी जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दे रहे हैं. अडानी- हिंडनबर्ग मामले पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ जस्टिस, जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने बुधवार को फैसला सुनाया है. CJI ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोर्ट को सेबी के अधिकार क्षेत्र मे दखल देने का सीमित अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि SEBI ही इस मामले की जांच करेगी, SIT को जांच ट्रांसफर नहीं की जाएगी.
इसके साथ ही अपने फैसले मे सुप्रीम कोर्ट ने SEBI के FPI नियमों को ये कहकर रद्द करने से इनकार कर दिया कि अदालतें नियामक शासन के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती हैं.
इसे भी पढ़ें: 25 साल के बाद ही बनेगा DL, 18 साल से कम वाले नहीं चला सकेंगे टू व्हीलर