रांची. जजों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. शुक्रवार को इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछले हफ्ते झारखंड के धनबाद में पदस्थ एक जज की संदिग्ध मौत के बाद चीफ जस्टिस एनवी रमना ने पूरे देश के जजों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी और केंद्र सरकार को सुनवाई के दौरान हाजिर होने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सीधे कहा कि जज की मौत के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है.
सुनवाई में केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल पेश हुए. जस्टिस रमना ने जजों की सुरक्षा और उनकी लाचारी को लेकर कड़ी नाराजगी जताई. जस्टिस रमना ने कहा कि भारत ऐसा देश है, जहां जजों को पता नहीं कि अगर उन्हें कोई दिक्कत है तो किससे शिकायत करें? पुलिस, सीबीआई और आईबी न्यायपालिका की कोई मदद नहीं करती. फिर जजों को मुख्य न्यायाधीश के पास शिकायत भेजनी पड़ती है.
अटॉर्नी जनरल के आपत्ति जताने पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुझे हालात बेहतर पता है और मैं जो कह रहा हूं, वो पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं. जस्टिस रमना ने कहा कि पूरे देश से जज शिकायत करते हैं कि उनको धमकाने की कोशिश की जाती है. कभी फोन पर गंदे मैसेज भेजे जाते हैं तो कभी फेसबुक तक पर लोग धमकी भरा मैसेज पोस्ट कर देते हैं. यह हाल निचली अदालत और हाईकोर्ट दोनों जगहों पर हैं. पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती.
धनबाद के जज उत्तम आनंद मौत मामले पर जस्टिस रमना ने कहा कि जजों की कॉलोनी में कोई सुरक्षा क्यों नहीं दी गई? एक नौजवान ऑफिसर की मौत हो गई. इसके लिए सरकार जिम्मेदार है. धनबाद में कोयला माफिया सक्रिय हैं, ऐसे में जजों को सुरक्षा कौन देगा? झारखंड सरकार के वकील राजीव रंजन ने कहा कि जजों की कॉलोनी में चारों तरफ से बाउंड्री करा दी गई है, लेकिन जस्टिस रमना ने कहा कि गैंगस्टर के लिए बाउंड्री वॉल कोई मायने नहीं रखता. उससे आगे जाकर सुरक्षा देनी होगी.