नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खनन पर रॉयल्टी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है . जिसमें कोर्ट ने कहा कि राज्यों को खनिज भूमि पर टैक्स लगाने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि इस पर कोई रॉयल्टी टैक्स नहीं है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 8-1 के बहुमत से इन राज्यों को राहत देते हुए अपने ही कई पुराने फैसलों को निरस्त कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संसद के पास सीमा, प्रतिबंध और यहां तक ​​कि निकाले गए खनिजों पर टैक्स लगाने पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है. जस्टिस बीवी नागरत्ना बहुमत के फैसले से असहमत थीं.

35 साल पुराना फैसला पलटा

सुप्रीम कोर्ट खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुनवाई कर रहा था. मामला यह था कि क्या खनिजों पर देय रॉयल्टी एक कर है और क्या केवल केंद्र सरकार को ही ऐसा कर लगाने का अधिकार है या राज्य सरकारें भी अपने क्षेत्र में खनिज भूमि पर इसे लगा सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सात जजों की संविधान पीठ का 1989 का फैसला गलत था, जिसमें कहा गया था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक टैक्स है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि संसद को संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के तहत खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है.

खनिज वाले राज्यों को मिलेगी राहत

फैसले में कहा गया है कि निकाले गए खनिजों पर रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है. इस फैसले से ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे खनिज संपन्न राज्यों को फायदा होगा. अब नौ जजों की पीठ बुधवार को फिर इस बात पर विचार करेगी कि उनका फैसला पूर्वव्यापी होगा या नहीं. अगर इस फैसले को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जाता है, तो राज्यों को भारी कर बकाया देना पड़ सकता है. राज्य चाहते हैं कि यह फैसला पूर्वव्यापी रूप से लागू हो, जबकि केंद्र सरकार इसे भविष्य के लिए लागू करना चाहती है.

 

 

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