नई दिल्ली : देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक नया आदेश जारी किया है. एक बड़ी पहल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों को आदेश दिया है कि वे केस से संबंधित दस्तावेजों में वादी की जाति और धर्म को उजागर न करें. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि इस तरह से जाति और धर्म के बारे में उल्लेख करना तत्काल बंद कर देना चाहिए.
कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा, “हमें सुप्रीम कोर्ट या अन्य अदालतों में किसी भी वादी की जाति और धर्म के बारे में बताना जरूरी नहीं लगता है. इसलिए इसको तत्काल बंद करने के लिए आदेश जारी कर दिया गया है.
दरअसल, राजस्थान फैमिली कोर्ट के सामने लंबित एक विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब फैमिली कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया. इस मामले में कोर्ट को देखकर हैरानी हुई कि पार्टियों के मेमो में पति और पत्नी की जाति के बारे में बताया गया था. इस पर बेंच ने आपत्ति जाहिर की. वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेजों में याचिकाकर्त्ता की जाति के बारे में बताना इसलिए जरूरी हो गया क्योंकि फैमिली कोर्ट के दस्तावेजों में भी यह मेन्शन किया गया था.
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