नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अवैध निर्माण और अतिक्रमण की सीलिंग पर निगरानी समिति और स्पेशल टास्क फोर्स के बीच विवाद पर नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सब ठीक नहीं है।
जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, दोनों समितियां एक दूसरे के काम में बाधा पहुंचा रही हैं। हम आपको बता रहे हैं कि जो कुछ भी हो रहा है ठीक नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी समिति पर प्रतिबंध लगाने की केंद्र की मांग पर भी सवाल उठाए और कहा कि समिति वही काम कर रही है, जो उसे सुप्रीम कोर्ट ने सौंपा था। पीठ ने पाया कि एजेंसियां दिल्ली के प्रशासन को लेकर आपस में लड़ रही हैं और उन्हें जनता की परवाह नहीं है।
केंद्र ने इससे पहले सौंपे जवाब में निगरानी समिति को खत्म करने की मांग की थी। उसका कहना था कि विशेष टास्क फोर्स सीलिंग पर पहले से काम कर रही है, इसलिए कोर्ट के आदेश पर बनी निगरानी समिति को काम नहीं करना चाहिए।
दरअसल, निगरानी समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था, एसटीएफ की कार्रवाई से लगता है कि उसे जो काम सौंपा गया था, उसमें वह पूरी तरह विफल रही। क्योंकि फुटपाथ पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हैं। इसके अलावा बेरोकटोक बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण भी जारी है। समिति ने कोर्ट से एसटीएफ के काम जारी रखने की समीक्षा करने का आग्रह किया था।
दोनों समितियां आपस में लड़ रही हैं और एक दूसरे को बाधा पहुंचा रही हैं। ऐसा नहीं चलेगा, हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते। इससे निराशा हुई है। – सुप्रीम कोर्ट
2006 में बनी थी निगरानी समिति
निगरानी समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च, 2006 को किया था। इसमें केजे राव, भूरे लाल और रिटायर्ड मेजर जनरल एसपी झिंगॉन शामिल हैं। वहीं एसटीएफ का गठन राष्ट्रीय राजधानी में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को हटाने के लिए कानून के पालन की निगरानी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पिछले साल हुआ था।