नई दिल्ली : डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. सनातन विवाद पर सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन से कहा, ‘आपने 19(1) ए और 25 के तहत अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है, अब आप अनुच्छेद 32 के दायरे में आ गए हैं? आप जानते हैं कि आपने क्या कहा है ? आपको उसके परिणामों का एहसास होना चाहिए था, आप एक मंत्री हैं कोई आम आदमी नहीं.’
दरअसल, उदयनिधि के खिलाफ सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी के मामले में अलग-अलग राज्यों में केस दर्ज हैं. इसी मामले में उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट से सभी एफआईआर की एक साथ सुनवाई करने की अपील की है. हालांकि, कोर्ट ने स्टालिन को फटकार लगाते हुए कहा, “आप अभिव्यक्ति के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करें और फिर अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट के पास सुरक्षा के लिए आते हैं.
स्टालिन के वकील सिंघवी ने दिए ये तर्क
वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने एफआईआर को एक साथ जोड़ने की दलील देने के लिए अर्नब गोस्वामी, मोहम्मद जुबैर और अन्य के मामलों में दिए गए फैसलों का हवाला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि स्टालिन इसके बजाय हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं. इस पर उदयनिधि के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर मुझे कई हाई कोर्ट जाना पड़ा तो मैं बंध जाऊंगा और यह अभियोजन पक्ष के समक्ष उत्पीड़न होगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम अगले हफ्ते इस मामले पर सुनावाई करेंगे.’
क्या कहा था उदयनिधि ने?
दरअसल, डीएमके मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था, “कुछ चीजों का सिर्फ विरोध नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें जड़ से खत्म कर देना चाहिए. हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या फिर कोरोना वायरस का विरोध नहीं कर सकते, हमें इसे खत्म करना होगा. इसी तरह हमें सनातन को खत्म करना है.” ‘ सनातन धर्म को लेकर उदयनिधि की टिप्पणियों पर पूरे देश में बड़ा बवाल मचा था. भाजपा ने उनके बयान की तीखी आलोचना की थी. भगवा पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने उदयनिधि स्टालिन के बयान की तुलना ‘यहूदियों के बारे में हिटलर के विचारों’ से की थी.
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