नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं और दिल्ली सरकार को कठोर निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने पूछा कि प्रदूषण के लिए लागू किए गए प्रतिबंधों में देरी क्यों हो रही है, खासकर जब AQI 300 के पार जा चुका था और अब 400 तक पहुंच चुका है. कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को कोर्ट से इजाजत के बिना प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू किए गए प्रतिबंधों को हटाने का अधिकार नहीं है.  चाहे AQI 300 से नीचे क्यों न आ जाए.

GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान)  के तहत हवा की गुणवत्ता के विभिन्न स्तरों के लिए पाबंदियों को लागू किया जाता है. GRAP में चार स्तर होते हैं, जिनके तहत निम्नलिखित पाबंदियां लागू की जाती हैं.

  • स्टेज I – ‘खराब’ (AQI 201-300)
  • स्टेज II – ‘बहुत खराब’ (AQI 301-400)
  • स्टेज III – ‘गंभीर’ (AQI 401-450)
  • स्टेज IV – ‘गंभीर प्लस’ (AQI >450)

इस समय दिल्ली का AQI 495 तक पहुंच चुका है, जो कि स्टेज IV (गंभीर प्लस) के अंतर्गत आता है.  कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि दिल्ली सरकार ने 12 नवंबर को 300 के पार AQI पहुंचने के बाद अब तक पाबंदियां क्यों लागू नहीं की। केंद्र ने जवाब दिया कि मौसम विभाग ने संकेत दिया था कि AQI कुछ दिनों में नीचे आ जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अप्रत्याशित और अस्वीकार्य बताया.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को बिना कोर्ट की अनुमति के पाबंदियां कम करने का अधिकार नहीं है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि AQI 300 से ऊपर है, तो उसे तुरंत स्टेज 3 या स्टेज 4 में रखा जाए और दिल्ली सरकार को इसके बारे में स्पष्ट तरीके से बताना होगा. अदालत ने यह भी पूछा कि प्रदूषण के प्रबंधन के लिए दिल्ली सरकार ने पहले क्या कदम उठाए थे और क्यों एहतियाती कदम पहले नहीं उठाए गए.

एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह की अपील

सीनियर वकील अपराजिता सिंह ने यह मामला उठाया था, जिसमें दिल्ली में प्रदूषण की बढ़ती स्थिति पर तुरंत कार्रवाई की मांग की गई थी.  उन्होंने कहा था कि दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बनने से बचाने के लिए त्वरित कदम उठाए जाने चाहिए.

पिछली सुनवाई के मुख्य बिंदु

14 नवंबर कोर्ट ने सवाल किया था कि प्रदूषण की गंभीर स्थिति में एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए.
11 नवंबर: कोर्ट ने दिवाली पर पटाखों के बैन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता जताई थी
4 नवंबर कोर्ट ने सुझाव दिया था कि अगले साल दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएं.

यह स्थिति दिल्ली में प्रदूषण की गंभीरता और पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों के महत्व को उजागर करती है.  सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी और दिशा-निर्देश से यह स्पष्ट है कि प्रदूषण नियंत्रण में ढिलाई अब स्वीकार्य नहीं होगी.

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