नई दिल्ली : अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है। 23 दिन में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा। आज तय वक्त से एक घंटे पहले ही सुनवाई खत्म हो गई।

अदालत ने कहा कि अगले तीन दिन तक इस मामले में दस्तावेज जमा कराए जा सकते हैं।

हिंदू महासभा के वकील वरुण सिन्हा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा हौ और मामले पर फैसला 23 दिन में आएगा।

अदालत में बुधवार को राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले की लगतार 40वें दिन सुनवाई हुई। पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई की। आज सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने साफ कर दिया कि आज शाम को पांच बजे मामले में अंतिम सुनवाई होगी। हालांकि सुनवाई एक घंटे पहले चार बजे ही खत्म हो गई।

आज मुस्लिम और हिंदू पक्ष ने अपनी-अपनी दलीलें अदालत के सामने पेश कीं। इस दौरान कोर्टरूम में ड्रामा देखने को मिला। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिंदू महासभा के वकील द्वारा पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया।

इससे पहले मंगलवार को सीजेआई ने कहा था कि सभी पक्ष 16 अक्तूबर तक मामले से संबंधित दलीलें पेश कर दें क्योंकि फिर उन्हें फैसला लिखने में चार सप्ताह का समय लगेगा। आज मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने अयोध्या मामले में एक पक्ष हिंदू माया सभा के हस्तक्षेप के आवेदन को खारिज करते हुए कहा, ‘यह मामला आज शाम को खत्म हो जाएगा। बहुत हो चुका। हम और समय नहीं देंगे।’

○क्या-क्या हुआ

○ अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी, अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा। 23 दिन बाद आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला। तय वक्त से एक घंटे पहले ही सुनवाई खत्म।

○लंच के बाद अयोध्या मामले की सुनवाई फिर शुरू हुई और मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं। उसे 45 मिनट का वक्त दिया गया। इस दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि हिंदू महासभा प्रस्तुतीकरण में खामियां हैं।

○हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने ऑक्सफोर्ड की एक किताब का हवाला दिया और मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने किताब के नक्शे को फाड़ दिया। वकील के इस रवैये से सीजेआई रंजन गोगोई नाराज दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह उठकर चले जाएंगे।

○सीजेआई गोगोई ने अखिल भारतीय हिंदू महासभा का अयोध्या मंदिर को लेकर दी गई दलील पर कहा, ‘यदि इस तरह की बहस जारी रहेगी तो हम उठकर चले जाएंगे।’ इसपर हिंदू महासभा के वकील ने कहा, ‘मैं अदालत की बहुत इज्जत करता हूं। मैंने न्यायालय के शिष्टाचार को भंग नहीं किया है।’

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