नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बाल विवाह के खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बाल विवाह निषेध अधिनियम को लेकर एक अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम में पर्सनल लॉ के जरिए अड़ंगा नहीं लगाया जा सकता. बच्चों से जुड़ी शादियां उनके अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन करती हैं. बता दें कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अगले महीने की 10 तारीख को रिटायर हो रहे हैं. इसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना देश के नए सीजेआई होंगे. इससे पहले आज डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने देश में बाल विवाह रोकथाम कानून के प्रभावी रूप से पालन के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए. सीजेआई की बेंच ने कहा कि बाल विवाह रोकथाम कानून को पर्सनल लॉ के जरिए बाधित नहीं किया जा सकता. इस तरह की शादियां नाबालिगों की जीवन चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन हैं. अधिकारियों को बाल विवाह रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपराधियों को अंतिम उपाय के रूप में दंडित करना चाहिए.
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