Joharlive Desk
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना महामारी की भयावहता के मद्देनजर 29 जुलाई से 16 अगस्त तक होने वाली चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षाओं के लिए ‘ऑप्ट-आउट’ योजना को और अधिक लचीचा बनाने और इस संबंध में नयी अधिसूचना जारी करने का इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो जुलाई तक स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि महामारी की स्थिति ‘स्थिर’ नहीं है, बल्कि हर पल बदल रही है, ऐसे में ऑप्ट-आउट योजना को अधिक लचीला बनाया जाना चाहिए और इसका विकल्प खुला रखा जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता ‘इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन’ की ओर से पेश वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने दलील दी कि ऐसे अनेक छात्र हैं जो केंटेनमेंट जोन में हैं और ऐसे भी परीक्षार्थी हैं जिनके यहां राज्य सरकारों ने लॉकडाउन बढ़ा दिया है। उन्होंने इस सिलसिले में पश्चिम बंगाल का उदाहरण भी दिया।
आईसीएआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रामजी श्रीनिवासन ने दलील दी कि देशभर में 500 परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं जिन्हें पूरी तरह सेनिटाइज किया गया है और वहां परीक्षार्थियों के लिए बेहतर स्वच्छता व्यवस्था की गयी है। अब परीक्षा केंद्र बदलना मुश्किल होगा। इस पर न्यायालय ने कई तरह के तार्किक प्रश्न किये, और नयी अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया ताकि ऑप्ट आउट योजना को लचीला बनाया जा सके और सुनवाई के लिए दो जुलाई की तारीख मुकर्रर की।
याचिकाकर्ता ने 29 जुलाई से 16 अगस्त के बीच आईसीएआई की ओर से आयोजित होने वाली सीए की परीक्षा को लेकर ऑप्ट आउट विकल्प निरस्त करने की मांग की है।