नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक की तरफ से चुनाव आयोग कोल सौंपे गए चुनावी बांड (इलेक्टोरल बॉन्ड) के से जुड़ी जानकारियों में यूनिक नंबर को शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है. उसे नोटिस जारी करके सोमवार तक अपना जबाव दाखिल करने का निर्देश दिया.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने एसबीआई को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अदालत को सूचित किया गया कि चुनावी बांड जारी करने वाले बैंक ने प्रत्येक बांड की यूनिक अल्फ़ा न्यूमेरिक संख्या का खुलासा नहीं किया है.
शीर्ष अदालत ने एसबीआई से कहा कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड नंबर यानी यूनिक नंबर भी शेयर करे. दरअसल, दो वरिष्ठ वकीलों प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाया और कहा कि एसबीआई ने यूनिक नंबर मुहैया नहीं कराया है, इस कारण बहुत सी बातों का पता नहीं चल पाएगा.
क्या है वो यूनिक नंबर
सुप्रीम कोर्ट ने जिस यूनिक नंबर की बात की है वो दरअसल हर इलेक्टोरल बॉन्ड पर अंकित होता है. यूनिक नंबर हर बॉन्ड पर अलग-अलग होता है. न्यूज वेबसाइट द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, एसबीआई जो इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करता है, उस पर दर्ज एक नंबर नंगी आंखों से नहीं दिखता. लेकिन उसे अल्ट्रावायलेट किरणों (यूवी लाइट्स) में देखा जा सकता है. ये नंबर ‘अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों और संख्याओं’ से मिलकर (अल्फान्यूमेरिक) होते हैं.
यूनिक नंबर से क्या-क्या पता चलेगा
यूनिक नंबर को अक्सर मैचिंग कोड कहा जाता है. इस नंबर से पता चलता है कि आखिर कोई खास बॉन्ड किसने खरीदी और किसके लिए खरीदी. मतलब अगर यूनिक नंबर हाथ लग जाए तो साफ-साफ पता चल जाएगा कि किस कंपनी, संस्था या व्यक्ति ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया है. अभी एसबीआई ने जो जानकारियां चुनाव आयोग को दी हैं, उससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि किस पार्टी को किससे कितना चंदा मिला है. अभी बस इतना पता चला है कि किस कंपनी ने कितनी कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं और किस-किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के कितने पैसे मिले.
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