Joharlive Desk
नयी दिल्ली। भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने नस्लभेद के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कहा कि यह दुखद है और इसका कोई तर्क नहीं है।
भारत के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर छेत्री को भारतीय फुटबॉल में आज 15 वर्ष पूरे हो गए और वह पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया के बाद दूसरे ऐसे फुटबॉल खिलाड़ी हैं जिन्होंने इतने वर्षों तक फुटबॉल खेला है। उन्होंने इस मौके पर नस्लभेद के खिलाफ आवाज बुलंद की औऱ इसे दुखद बताया।
35 वर्षीय छेत्री ने एआईएफएफ टीवी से बातचीत में कहा, “नस्लभेद काफी दुखद है। इसका ना तो कोई तर्क है और ना ही सच्चाई है। पहले के दिनों में यह काफी होता था लेकिन अब हमें लोगों को इस बारे में जागरुक करने की जरुरत है। मानवजाति को खुद विश्व से नस्लभेद खत्म करना होगा।”
उन्होंने कहा, “अंत में सभी एक ही रंग, जाति और धर्म से आते हैं। तो मुझे समझ नहीं आता है कि किसी को भी इसके आधार पर नीचा क्यों दिखाया जाता है। नस्लभेद को बढ़ावा नजरअंदाज करने से मिलता है। अगर मैं किसी को नस्लभेदी टिप्पणी करते देखता हूं तो मुझे उसे समझाना चाहिए कि वह क्या गलत कर रहा है।”
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में 72 गोल करने वाले छेत्री ने कहा, “सही तथ्य तो यह है कि मैं 15 साल बाद भी यहां हूं और अभी कुछ साल और बाकी है, यह मेरे लिए उपलब्धि है। मैं इसके लिए अकेला श्रेय नहीं लेना चाहता। मेरा परिवार और टीम के खिलाड़ियों का भी इसमें अहम योगदान है। दुनियाभर में किसी भी खेल में देश के लिए 15 वर्षों तक खेलना दुर्लभ है और मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं।”
छेत्री ने कहा, “अगर बाइचुंग, रेनेडी सिंह, अभिषेक यादव औऱ वेंकटेश षणमुगम जैसे खिलाड़ी मुझ पर मेहनत नहीं करते और मुझ पर भरोसा कर मौके नहीं देते तो हालात कुछ और होते। जैसे मुझे मेहनत का फल मिला है वैसे ही आज की पीढ़ी को भी मिलेगा।”
कप्तान ने कहा, “यह सिर्फ बाइचुंग,स्टीवन डायस, गोरमांगी सिंह, सुब्रत पाल और अन्य खिलाड़ियों की मेहनत का ही नतीजा है कि संदेश झिंगन, गुरप्रीत सिंह, अनिरुद्ध थापा, अमरजीत सिंह और मेरे जैसे खिलाड़ी इस स्तर पर खेल पा रहे हैं।”
छेत्री ने उस दिन को याद किया जब 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने से पहले छेत्री और सैयद रहीम नबी को मैच से पहले टीम के कोच सुखविंदर सिंह ने बताया था कि वह पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलेंगे।
उन्होंने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो जिस छेत्री को आप आज देख रहे हैं वह पहले ऐसा नहीं था। नबी दा और मैं मैच से पहले बिरयानी खा रहे थे और उसके बाद कोच ने हमें बुलाया और कहा कि हम पाकिस्तान के खिलाफ खेलेंगे।”
छेत्री ने कहा, “हम दोनों उस रात सो नहीं पाए थे। आप सोच भी नहीं सकते कि हमारे लिए वो क्या पल थे। हम दोनों को उस दिन की यादें ताजा है। हमें पता था कि हम दोनों पदार्पण करेंगे लेकिन कोच ने बताया कि हमें मैच में खेलाया जाएगा वो पल शानदार था। हम बहुत खुश थे। वो दिन मेरे जीवन के सर्वश्रेष्ठ दिन में से एक है।”