रांची। ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) पार्टी के साथ शह-मात के खेल के बीच भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को अपनी दूसरी सूची जारी कर दी, लेकिन इसमें सिर्फ एक ही नाम है। यहां से लोहरदगा विधानसभा सीट से भाजपा ने सुखदेव भगत को उम्मीदवार बनाया है। ग्रीन सिग्नल के साथ चुनाव चिह्न मिलने के बाद सुखदेव भगत ने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है। पहले चरण के लिए हुसैनाबाद विधानसभा सीट से भी नाम की घोषणा की उम्मीद की जा रही थी। सुखदेव के नामांकन पत्र भरने के साथ ही अब लोहरदगा सीट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का दोस्ताना संघर्ष तय हो गया। भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी दो दिन पहले ही लोहरदगा से नीरू शांति भगत को अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी हैं। इसके अलावा लोहरदगा से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव भी मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी के सधनु भगत ने पार्टी से विद्रोह करते हुए भारतीय ट्राइबल पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोहरदगा से पर्चा दाखिल किया है। भाजपा के बागी उम्मीदवार के मैदान में होने से अब इस सीट पर चुनाव बहुत ही रोचक होने की संभावना है। यहां 30 नवम्बर को मतदान होना है।
उललेखनीय है कि झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके सुखदेव भगत ने कांग्रेस के सिम्बल पर गुमला लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा सुदर्शन भगत ने उन्हें हरा दिया था। लोकसभा चुनाव में भितरघात का आरोप लगाते हुए उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. रामेश्वर उरांव और धीरज साहू के खिलाफ कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को लिखित शिकायत भी की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और पिछले महीने 23 अक्टूबर को भाजपा में शामिल हो गये थे।
कमल किशोर को सजा होने के बाद 2016 उपचुनाव भी लड़ी थीं नीरू
नीरू भगत पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी हैं। नीरू भगत आजसू पार्टी से दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2014 में लोहरदगा विधानसभा सीट से आजसू के कमल किशोर भगत ने चुनाव जीता था। इसके बाद झारखंड के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. केके सिन्हा के साथ मारपीट मामले में अदालत ने उन्हें दो साल से अधिक की सजा सुनाई थी। सजा होने के बाद कमल किशोर का विधायक पद छिन गया था। फिर 2016 में हुए उपचुनाव में आजसू ने कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू भगत को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे सुखदेव भगत ने उन्हें हरा दिया था।