Joharlive Team
रांची। राजधानी रांची समेत राज्य के अन्य जिलों में सुहागिनों ने लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) का पालन करते हुये अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए वट सावित्री की पूजा की।
कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन होने के बावजूद महिलाओं ने वट सावित्री पूजा की पूरी तैयारी कर ली थी। इसको लेकर कल महिलाओं ने पंखा से लेकर पूजा सामग्रियों की खरीददारी की। वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ जैसा महत्व रखता है।पौराणिक मान्यताओं अनुसार सावित्री नामक विवाहिता राजकुमारी ने अपने अल्पायु पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए ये व्रत रखा था। वट सावित्री पर्व के मौके पर अमर सुहाग की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) का पालन करते हुये वट वृक्ष की श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना की।
राजधानी पटना में सुबह से ही स्नान ध्यान के बाद सुहागिन महिलाएं नए वस्त्र धारण कर हाथों में पूजा की थाली लिए वट वृक्ष के नीचे पहुंची तथा जल, रोली, चावल, सदूर, हल्दी, गुड़, भींगा चना, मटर, फल एवं प्रसाद से विधि-विधान पूर्वक सावित्री तथा सत्यावान की पूजा अर्चना की। उसके बाद महिलाओं ने सावित्री एवं सत्यवान की कथा सुन वट वृक्ष के तना में 108 बार कच्चा सूत लपेटकर अमर सुहाग की कामना की।
गया से यहां प्राप्त समाचार के अनुसार, पति की लंबी आयु एवं सुख-समृद्धि के लिए सुहागिन महिलाओं ने शुक्रवार को वट सावित्री व्रत किया। इस दौरान महिलाओं ने अखंड सौभाग्य की कामना लिए वट वृक्ष की आराधना की।हालांकि इस बार लॉकडाउन के कारण काफी संख्या में महिलाओं ने अपने घरों में व्रत किया और सावित्री एवं सत्यवान की कथा सुनी। वहीं कुछ महिलाओं ने अपने घरों के आसपास स्थित वट वृक्ष के समीप जाकर वट वृक्ष की पूजा की। सुहागिन महिलाओं ने बताया कि पति की लंबी दीर्घायु एवं परिवार की सुख, समृद्धि के लिए वट सावित्री पूजा कर रही है। इस दौरान व्रत भी रखा है।
वहीं, सुहागिनों की पूजा कराने वाले पंडित अशोक कुमार पांडे ने कहा कि पौराणिक काल से पति की दीर्घायु को लेकर सुहागिनों के द्वारा वट पूजा की परंपरा चली आ रही है। आज मुहल्ले की महिलाओं ने वटवृक्ष के नीचे विधि-विधान से पूजा की है। साथ ही उन्हें सावित्री और सत्यवान की कथा भी सुनाई गई है। उन्होंने कहा कि वट वृक्ष की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और घर में सुख समृद्धि आती है।