रांची : हूल दिवस के मौके पर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने रांची के मोरहाबादी स्थित सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद और नमन किया। इस दौरान सुदेश ने उनके परिवार को राजकीय सम्मान न मिलना राजकीय अतिथि के रूप में स्थापित नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि उनके नाम पर राजनीति तो जरूर होती है, लेकिन उनके वंशज को आज भी कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

बताते चलें की आदिवासी समाज में अब तक जितने भी जनक्रांति हुई है उनका मुख्य उद्देश्य जल, जंगल व जमीन की रक्षा से सीधा जुड़ा है। संताल हूल भारत से अंग्रेजों को भगाने के लिए प्रथम जनक्रांति थी। या यूँ कहे कि भारत में पहली स्वतंत्रता की आवाज़ कही से उठी तो वो हूल क्रांति ही थी।

Share.
Exit mobile version