JoharLive Team

रांची : कौन कहता है, आसमान में सुराख़ नहीं  हो सकता…. एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों… इन्ही पंक्तियों को चरितार्थ कर साहेबगंज ज़िले के सखी मंडल समूह की महिलाओं ने विकास के क्षेत्र में नया आयाम ढूंढ लिया है। सखी मंडल समूह के मेहनत और ज़िला प्रसाशन के सहयोग ने ढ़ेरों महिलाओं को स्वाबलंबी होने का अवसर प्रदान किया है।

ज़िला प्रशासन व झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की ओर से पिछले वर्ष सखी स्वंय सहयता समूह सकरीगली के सदस्यों को चप्पल बनाने का दो माह का प्रशिक्षण दिया गया था। धनबाद की प्रेम फुटवेयर कंपनी ने आगे बढ़ कर टेक्निकल सपोर्ट के साथ साथ रॉ मेटेरियल एवं प्रशिक्षण मुहैया कराया।

बस दो महीने के बाद ही समूह से जुड़ी 26 महिलाएं काम मे जुट गई।  तथा समूह के महिलाओं के द्वारा सबसे पहले डेढ़ लाख रुपये का रॉ मेटेरियल मंगवाया l चप्पल तैयार कर  ज़िला  के कस्तूरबा  गांधी आवासीय विद्यालयों एवं कल्याण विभाग के स्कूलों में आपूर्ति किया गया। बनाये गए चप्पलों से समूह को क़रीब 2 लाख रुपये की आय हुई,और यहीं से सफलता की नई कहानी भी शुरू हुई। झारखंड सरकार के इस अनूठे प्रयास से अब स्वाबलंबी हो चुकी इन महिलाओं ने सपनों को हक़ीक़त में बदलना सिख लिया है। जिला प्रशासन के द्वारा महिलाओं को जिला  परिषद मार्केट में एक दुकान भी आवंटित किया गया है। दुकान में महिला समूह के द्वारा चप्पल बिक्री किया जा रहा है l  मुनाफ़े की कुछ  राशि  का वितरण समूह की महिलाओं के बीच किया गया  तथा कुछ राशि से  मशीन एवं आवश्यक उपकरण खरीदा गया।


सखी फुटवेयर कंपनी के द्वारा  बाज़ार के अनुरूप नए प्रारूप के चप्पल बनाये जा रहें है,जो  स्पाइस नाम से बाज़ार में उपलब्ध भी हैं।  महिलाओं ने अपने ब्रांड, सखी फुटवेयर का निबंधन भी करा लिया है। यही नही देवघर में लगे मेले तथा दुमका में लगे मेले में भी इनके द्वारा लगाए गए स्टाल को लोगों द्वारा खूब सराहा गया। महिलाएं काफ़ी उत्साह से काम कर रहीं है, और झारखंड लाइव लीहुड प्रमोशन सोसाइटी झारखंड सरकार, ज़िला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए अपने ब्रांड का प्रमोशन भी कर रहीं है ।

मेहनत ही रंग लाती है

आज की महिलाएं लोगो के सोच से भी बढ़कर कार्य कर रही है। वो किसी भी काम को उसी हौसले और जुनून से करती है मानो उनके लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं। आजकल जलवायु परिवर्तन दुनिया भर के देशों के लिए चिंतन का विषय बना हुआ है। इस जलवायु परिवर्तन के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जैसे गर्मी के मौसम में लगातार बड़ता तापमान, घटता जलस्तर, घटती बारिश और रूह कपां देने वाली ठंड। और इन सभी का मूल कारण है घटते वृश्च।
हमारी जेएसएलपीएस की महिलाएं एक ऐसे तरीके पर काम कर रही है। जिससे धरती फिर से हरी-भरी हो सकती है। स्वयं सहायता समूह की अंजू महतो, लक्ष्मी कुमारी, लक्ष्मी देवी, आशा महतो सभी एक्टिव वूमन के सब्द को सार्थक कर रही है। वो सभी एक ऐसी गेंद तैयार कर रही है। जिसमें तीन-चौथाई मिट्टी होती है, और एक-चौथाई गोबर।
इस गेंद के अंदर पौधों के बीज होते है। इन गेंदों को धूप में इतना सुखाया जाता है, कि यह बिखरने से बचे और हलकी बारिश में फिर से ढीले होकर बीज को अंकुरने का मौका मिले। इन गेंदों को मैदान, पहाड़ और ऐसी ही जगहों पर गिराया जाता है जहां ये जानवरो से सुरक्षित रहे और बड़े हो सके। अनुकूल वातावरण पा कर बीज इस गेंद में से अंकुरित होते है और समय के साथ और गेंद में इस्तेमाल किए गए पोषक मिट्टी की मदद से हरे-भरे और तंदरुस्त वृश्च में तब्दील हो जाते है।
इससे जमीन फिर से हरी हो जाती है। यह पेड़ जलवायु संचालन में अहम भूमिका निभाते है। जहा ज़ादा पौधे होते है वाहा वर्षा भी अधिक होती है, जिससे भू-जल में बढ़ोतरी होगी और गर्मियों में पानी की कमी से निजाद मिलेगी। पौधों से निकली ऑक्सीजन सभी जीवो के स्वास लेने के काम आती है जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इन पेड़ों के कारण तापमान का भी संचालन होता रहेगा और भीषण गर्मी और चिलचिलाती ठंड से भी राहत मिलेगी।
यह महिलाएं इन गेंदों की मदद से धरती मां की परेशानियो को तो दूर कर ही रहीं है, साथ ही इन गेंदों से हुई आमदनी से अपनी आजीविका भी चला रही है। चाहे घर गृहस्थी का कोई काम हो या फिर जनहित के लिए धरती को हरा भरा बनाना, देश की महिला हर मोर्चे पर तैनात है। देश की मान सम्मान के लिए ये देश की बेटियां कुछ भी करने से पीछे नहीं हटती। इन महिलाओं के जज़्बे और हौसले को देश और प्रदेश की सरकार भी सलाम करती है।  लक्ष्मी कुमारी, जो स्वयं सहायता समूह की एक सदस्य है, का कहना है कि, “हमारी अगली पीढ़ी को स्वच्छ जल मिले, स्वच्छ वायु मिले, इसके लिए हम हमेशा कार्यरत रहेंगे”।
सभी समूह की दीदियों का सोचना है कि समूह में जुड़ने के बाद उन सभी को एक ऐसा परिवार मिला है, जो उन्हें हरदम प्रयास करते रहने की प्रेरणा देता है, बिना रुके, बिना डरे। इसके लिए वो सब सरकार और जेएसएलपीएस को धन्यवाद देती है।

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